Wednesday, January 28, 2009

तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में

शहर के कोलाहल से दूर, ज़िन्दगी की तलाश में,
सूरज की तेज़ तपन से दूर, पेडो की ठंडी छांव में ,
चलते चलते आ गए हम "शंकर जी" के गाँव में।
वैसे तो कुछ दिन ही रहे हम उनके गाँव में,
खुशियाँ सारी समेट ली हमने उनके गाँव में,
चलते चलते आ गए हम "शंकर जी" के गाँव में
प्राकृतिक नज़ारे हर तरफ़ थे भरपूर ,
कदमो में था समुन्दर, पहाड़ थे ज़रा हमसे दूर,
सर्पीले रास्तों पर, नारियल के पेड़ थे भरपूर,
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।
फिर आई सुरमई गीतों की शाम सुहानी,
गूँज रही है धुन अब तक कानों में,
नये लोगो से भी हुई मुलाकात,
जीने का नया फिर अहसास जगा ,
मिलकर उनकी बातों में,
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।
मन तो आख़िर मन है,
ठहर जाऊ यही, लगा सोचने
क्या रखा है संसार की बातों में,
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।
सिर्फ़ तन लेकर लौटा हूँ , मन रह गया वही ,
बीते हुए पल याद आते है बार- बार ,
सफर का हाल सुनाता हूँ जब में ,
तुमको बातों - बातों में ।
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।

The Unforgettable Moments: My Karnataka Visit ( 24 Jan – 27 Jan 2009)

“Indian Vegan Society” organized a “Vegan Musical Evening” on Sunday 25th Jan 09 at Sri Siddivinayaka Residential School, Hattiyangadi. I actively participated in this program as a member of this society. After that, I visited many place i.e. Kolluru (Sri Mookambika Temple), Murdeshwar ( Largest Shiva statue 125 feet ht., Beautiful sea beach), Byndoor ( Peaceful and lovely sea beach here also and Mr. Shankar Narayan’s home- president of this society), Kundapura and Hattiyangadi). I enjoyed very much there. I can not express my feelings in the words. I have no words. I am speechless to see the beauty of Karnataka. Amazing, heart touching, beautiful landscapes and surroundings near Arabian Sea. I am trying to write my wonderful experiences in poetry for you.

Friday, January 23, 2009

जब भी कभी तन्हा महसूस करता हूँ ...........

"जब भी कभी तन्हा , महसूस करता हूँ मै
अपनी कविताओं से , बाँतें करता हूँ मै
बाँतो में, फिर तेरा ज़िक्र करता हूँ मै .
ज़िक्र तेरा आते ही , मेरी कविताओ के
खामोश शब्द बोलने लगते हैं ,
फिर घंटों मुझसे , तेरी बाँतें करते हैं
मेरी कविताओं के शब्द तुमने ही तो रचे है
तुम्हारी ही तरह “शब्द” भावुक है
बाँतें मुझसे करते है , और नैनों से बरसते रहते है
जब भी कभी तन्हा , महसूस करता हूँ मै
अपनी कविताओं से बांते करता हूँ मै
अर्ध -विराम सहारा देतें है शब्दों को ,
मात्राएँ , शब्दों के सर पर हाथ रखती हैं
हिचकियाँ लेते शब्दों को पंक्तियाँ दिलासा देतीं है
फिर सिसकियाँ लेते हुए शब्दों को ,
मै सीने से लगाकर , बाहों में भर लेता हूँ,
शब्द मुझमे समां जाते है , मुझको रुला जाते है ."

Thursday, January 22, 2009

गुलाब के फूल

मेरे मन के आंगन में खिल रहे
गुलाब के फूलों को चुराने तुम कब आओगी ?

रिश्ता

पहाडो से , कुछ न कुछ मेरा रिश्ता ज़रूर है;
हर रोज, मेरे सपनों में आते ज़रूर है।




मेरे दोस्त कहाँ हो तुम ?

"दो बाँतें तुम से क्या कर ली मैंने ,
किस्से हज़ार बनने लगे,
दोस्ती जब से की तुमसे मैंने,
दुश्मन मेरे बढने लगे। "

Wednesday, January 21, 2009

* * * दोस्ती * * *

मै कहूँ तुम सुनो , वो दोस्ती है,
तुम कहो और मै सुनो , वो अच्छी दोस्ती है,
लेकिन मै कुछ न कहू, और तुम जान लो ,
वो सच्ची दोस्ती है।

Tuesday, January 20, 2009


नये लोग मिले है , नये ख़यालात मिले है ,

मेरे गीतों को नये साज़ मिले है,

जब से मिले है आप सब मुझे

जीने के मुझे नये आयाम मिले है ।

मेरी कवितायें ही मेरी सबसे प्यारी दोस्त है .

बारिशों मौसम में भीगना, हमे यू अच्छा लगता है,
हम कितना भी रो ले, किसी को क्या पता चलता है ।