Sunday, August 30, 2009

"थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो ..."



थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।
इस अजनबी दुनिया में पहली बार ,
"राज" को मिला कोई अपना ,
इस खुशी में आज हमे , जी भर के रो लेने दो।
थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।
पतझड़ के मौसम में आयीं हैं बहारें,
खुशबू फूलों की फिजा में और ज़रा महकने दो।
थोडी- थोडी है झिझक अभी,
राजे दिल ज़रा धीरे - धीरे खुलने दो।
थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।
कह लेना तुम भी अपने दिल की बातें ,
वक्त जरा थोड़ा और गुजरने दो।
उम्र पड़ी है अभी सारी, गिले शिकवे भी कर लेंगें
इस वक्त ना तुम कुछ कहो, ना हम कुछ कहें
बस जी भर के एक दूसरे को देखने दो।
थोड़ा - थोड़ा है प्यार अभी, और ज़रा बढने दो।
नई-नई है दोस्ती अभी , और ज़रा बढने दो।

Thursday, August 27, 2009

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं....

जन्म दिन है आज आपका , स्वीकार करो बधाई।
सारी खुशियाँ मिले आपको, यह दुआ है मेरे भाई ।
सफलताओं की रोशनी से जगमग रहे आपका जीवन।
खुशी और सफलताओं के आप बने प्रतीक, नाम सार्थक हो आपका।
जब चले बात सफल लोगों की , दुनिया नाम ले बस आपका।
जन्म दिन है आज आपका , स्वीकार करो बधाई।
सारी खुशियाँ मिले आपको, यह दुआ है मेरे भाई ।
मिले आपको आपके मन का मीत, जीवन बने संगीत।
शुभकामनाएं हैं हमारी, हर सपना पूरा हो आपका।
तमाम उम्र फूलों से महकता रहे आपका जीवन,
"राज" की है दुआ, जीवन चंदन हो आपका।
जन्म दिन है आज आपका , स्वीकार करो बधाई।
सारी खुशियाँ मिले आपको, यह दुआ है मेरे भाई ।

Tuesday, August 25, 2009

"ऐ दिल, ना परेशान कर मुझे"

अपने दिल से एक दिन होकर नाराज़,
बातों-बातों में हमने उससे कह दिया।
ऐ दिल, ना परेशान कर मुझे,
और धडकना छोड़ दे।
दिल बोला बड़े इत्मीनान से ,
छोड़ दूंगा मैं उस दिन धडकना ,
"राज", प्यार करना तू जिस दिन छोड़ दे।

Saturday, August 22, 2009

क्या कसूर मेरा ?



जिन पहाडों पर था घर बसाया मैंने,
ज्वालामुखी के थे पहाड़ वो, क्या कसूर मेरा ?
जिन दरख्तों की छाँव में , मैं बैठा पल दो पल
बिना पत्तियों का था दरख्त वो, क्या कसूर मेरा ?
वक्त के तूफानों में भी कश्ती उतारी मैंने,
भावनाओं के भंवर से भी कश्ती निकाली मैंने,
कश्ती डूबी मगर उन किनारों पर आकर,
शांत और स्थिर दिखते थे जो, क्या कसूर मेरा ?
मन के उपवन में ब्रह्मकमल खिलाये थे मैंने,
वसंत ऋतु में पतझर ये कैसा आया ,
पंखुडियाँ भी चुभी शूल सी जो, क्या कसूर मेरा ?

Wednesday, August 12, 2009

"अपने चित्रों में रंग भर के तो देखो..."



अपने चित्रों में रंग भर के तो देखो,
आपकी ज़िन्दगी में भी रंग आ जायेंगे ।
सपने जो देखें हैं आपने,
एक दिन वह सब सच हो जायेंगे।
स्वर्णिम रथ पर होकर सवार ,
एक दिन आयेगा सपनों का राजकुमार,
ले जायेगा आपको सात समंदर पार,
सब देखते रह जायेंगे ।
अपने चित्रों में रंग भर के तो देखो,
आपकी ज़िन्दगी में भी रंग आ जायेंगे ।
ये माना , कभी-कभी बिना रंगों के चित्र भी
दिल को बहुत लुभाते हैं।
बिना कहे ही दिल की सारी बात,
यह चित्र कह जाते हैं।
कोरे कागज़ पर पेंसिल से बनी ये रेखायें,
कुछ चित्र बनाती जाती हैं।
जो कुछ कह नहीं पाते हम,
वो बातें सब बताती हैं।
अपने चित्रों में रंग भर के तो देखो,
आपकी ज़िन्दगी में भी रंग आ जायेंगे ।
सतरंगी रंगों से चित्र सारे रंग जाये ,
"राज" की है ये दुआ,
सपने आपके सब सच हो जायें ।
इन्द्रधनुष से एक रंग लेकर देखो तो,
आपकी ज़िन्दगी में भी रंग आ जायेगें।
हमको समझो अपना , तो उसका पता बताओ
संदेशा आपका हम पहुचायेगें।
हो सका अगर मुमकिन,
तो उसको साथ लेकर आयेगें।
अपने चित्रों में रंग भर के तो देखो,
आपकी ज़िन्दगी में भी रंग आ जायेंगे ।

Friday, August 7, 2009

"आप मुझे यूँ ही उदास रहने दीजिए"



आप मुझे यूँ ही उदास रहने दीजिए।
बस कुछ देर अपने आस-पास रहने दीजिए।
खत्म ना हो कभी,
बस यादों का सिलसिला चलने दीजिए।
आप मुझे यूँ ही उदास रहने दीजिए।
नहीं है मुझको अपनी तबाही का अफ़सोस ,
आप मुझे यूँ ही परेशान रहने दीजिए।
जब तक ना हो खत्म , मेरे आंसुओं को बहने दीजिए।
आप मुझे यूँ ही उदास रहने दीजिए।
टूट कर रह गया सपनों का घरोंदा मेरा ,
बस यह टूटी हुई दीवारें तो रहने दीजिए।
रौशनी तो सब छीन ली आपने मगर,
बस कुछ देर और उजाला रहने दीजिए।
चला जाऊँगा आपके शहर से मैं ,
बस आखरी बार जी भर के देखने दीजिए।
आप मुझे यूँ ही उदास रहने दीजिए।