Thursday, April 1, 2010

"शायद कहीं खो गया हूँ ...."



शायद कहीं खो गया हूँ,
भीड़ का हिस्सा हो गया हूँ ।
चाहा था इतिहास लिखना ,
हाशियाँ हो गया हूँ।
गुणा-भाग की बहुत मगर,
घटता रहा हर पल मगर,
जहाँ से चला था,
वहीँ पहुँच गया हूँ।
फिर से एक बार ,
"शून्य" हो गया हूँ।

4 comments:

  1. "शून्य" हो गया हूँ।

    गहरी रचना ,बहुत खूब

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  2. gahre bhavo kee satahee abhivykti bahut asar chod gayee........

    Aabhar...........

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  3. कोई किसी तरह से शून्य होता है
    और
    कोई किसी तरह से,
    एक क्षण शून्य तो
    सभी को होना ही है!

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  4. जोड़ घटाव, गुणा भाग ये सब दुनयावी बातें हैं और शून्य है चिरंतन सत्य...
    बहुत दिनों बाद मुलाक़ात ही आपसे..शानू के विषय में पहली बार जाना... कुछ भी कहना मेरी सम्वेदना को हल्का करेगा इसलिए मेरा आशीर्वाद …उसके ज्ञान की ज्योति विश्व भर में फैले..

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