Monday, November 19, 2012

"शायद...."

कुछ दिनों से कुछ खबर नहीं,
खामोश हूँ  मगर बेखबर नहीं।
क्या तुमने सुना मैंने, जो अब तक कहा नहीं,
शायद कुछ  शब्दों  की होती जुबान नहीं।

Monday, November 12, 2012

"एक ही दीप काफी है..."

"बनावटी रोशनियों की चकाचोंध में, कुछ भी दिखाई नहीं देता,
प्रेम का एक ही दीप काफी है, उम्र भर रौशनी देने के लिए। "
( शलभ गुप्ता "राज")
"Banavati Roshniyon Ki Chackachondh Me, Kuch Bhi Dikhayi Nahi Deta,
Prem Ka Ek Hi Deep Kaafi Hai Umrabhar Roshni Ke Liye.."

Friday, November 9, 2012

"कशमकश..."

कहीं होकर भी नहीं हूँ  और कहीं  नहीं होकर भी हूँ ,
अजीब कशमकश में हूँ कि कहाँ हूँ और कहाँ नहीं हूँ .
( शलभ गुप्ता)

"दिल ही जानता है ...."

रिश्ता सच्चा हो तो ,
दूरी का एहसास नहीं होता ..
दिल ही जानता है मगर,
जब कोई अपना पास नहीं होता।

Sunday, November 4, 2012

"अजनबी....."

मेरे शब्दों से इतना प्यार मत  कीजिये ,
अजनबी शहर में अजनबी रहने दीजिये .

Mere Shabdon Ko Itna Pyar Mat Keejiye,
Ajnabi Shahar Me Ajnabi Rahne Deejiye.

Thursday, November 1, 2012

"नादानी है यह मेरी..."

एक कोशिश है खुद से दूर जाने की ,
शब्दों से दूर जाने की,
नादानी है यह मेरी ,
खुद को समझाने की ....

Ek Koshish Hai Khud Se Door Jaane Ki,
Shabdon Se Door Jaane Ki,
Nadani Hai Yeh Meri,
Khud Ko Samjhane Ki....