Friday, March 16, 2012

"बिजलियाँ ..."

बिजलियाँ तो अक्सर गिरा करती हैं मुझ पर,
और मेरा दामन भी जला देतीं हैं अक्सर,
गम नहीं मुझे इस बात का दोस्तों,
कि वो मेरा दामन जलाती हैं ।
इस बात का भी दुःख नहीं मुझको,
कि कुछ लोग उस वक्त
मेरे दामन को हवा देते हैं।
दुःख है तो "राज" को
सिर्फ़ इस बात का ,
इस कोशिश में वह लोग,
अपना हाथ जला बैठते हैं।

Tuesday, March 6, 2012

"चाहे, हौले-हौले चल ..."

अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
उबड़-खाबड़ देख कर,
रास्ता ना बदल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
गिरकर, संभलता चल ।
ठोकरों से सीखता चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
रंग-बिरंगी कारें देख कर,
मन ना मचल ।
समय तेरा भी आयेगा ,
जरा सब्र तो कर ।
मिल ही जायेगी मंजिल,
आज , नहीं तो कल !
अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।