Tuesday, November 26, 2013

"जब भी आता है 26 नवम्बर...."


जब भी आता है 26 नवम्बर ,
दिल के जख्म उभर आतें हैं ।
बिछुड़ गये जो हमसे,
वह सब बहुत याद आते हैं ।
ना जाने कब थमेगा,
इसी तरह बिछुड़ने का सिलसिला ,
पूछते है सब एक-दूसरे से...
उत्तर किसी से नहीं पाते हैं ।
घर के चिराग जिनके बुझ गये,
हमारी ज़िन्दगी बचाने में,
चलो आज हम सब मिलकर,
उनके घर होकर आते हैं । 
देश पर मिटने वालों का घर,
होता है सच्चा मंदिर,
आज उनके घर पर जाकर ,
अपना शीश झुका कर आते हैं ।
जब भी आता है 26 नवम्बर ,
दिल के जख्म उभर आतें हैं ।
( Shalabh Gupta "Raj")

Sunday, November 24, 2013

"साया.."

तेज़ धूप, यह लम्बा सफ़र,
बस साया ही साथ चलता है,
जब कोई बात नहीं करता,
साया मुझसे बात करता है।
( शलभ गुप्ता "राज") 

Friday, November 8, 2013

"राहें.."

घुमावदार रास्ते, संकरे मोड़ों के गुज़र जाने के बाद..
दिखाई देने लगती है बड़ी-बड़ी और खुली राहें