Saturday, December 28, 2013

"मन की तितलियों को उड़ने दिया करो .."



कभी-कभी अपने दिल की भी सुना करो ।
 मन की तितलियों को उड़ने दिया करो ।
ये माना काम में बहुत मसरूफ हो मगर,
कभी-कभी कुछ लम्हे खुद को भी दिया करो ।
बारिशों के मौसम में भी भीगा करो।
उदास ज़िन्दगी में इन्द्रधनुषी रंग भरा करो ।
कभी-कभी खुल कर भी हँसा करो ।
तितलियों को किताबों में मत रखा करो।
उनके संग-संग आसमां में उड़ा करो।
कभी-कभी अपने दिल की भी सुना करो।
( Shalabh Gupta "Raj")

Thursday, December 26, 2013

"कुछ दूर तलक साथ चलो,..."


"कुछ कह रहे हैं हमसे.....
काटों संग यह फूल खिले ।
कुछ दूर तलक साथ चलो,
भूल कर शिकवे-गिले।
जब साथ चलोगे,
तो कुछ बात भी होगी।
दूर है बहुत मंजिल ,
राह आसान भी होगी ।
धीरे-धीरे मिट ही जायेंगे,
मन के यह फासले ....
कुछ दूर तलक साथ चलो,
भूल कर शिकवे-गिले।

Thursday, December 12, 2013

"तब गीत मेरे गुनगुनायेंगे लोग..."

कोई किसी को याद नहीं करेगा , 
यह ग़लत कहते है लोग।
ज़िन्दगी भर याद आयेगें , 
मुझे आप सब लोग।
शायद मुझे भी याद करेंगे , 
मेरे जाने के बाद "कुछ" लोग।
जब खामोश हो जाऊंगा मै , 
तब गीत मेरे गुनगुनायेंगे लोग।
चला जाऊंगा इस शहर से जब मै, 
मेरे कदमों के निशान ढूढेंगे लोग। 
मैं हूँ एक पेड़ चंदन का,
इसलिए मेरे करीब नहीं आते है लोग।
पत्थर पर घिस कर जब फना जाऊंगा मै,
तब मुझे माथे पर लगायेंगे लोग।
आसमान से टूटता हुआ तारा हूँ,
एक दिन टूट जाऊंगा मै ।
खुशी बहुत है इस बात की "राज" को मगर
देखकर मुझे अपनी मुरादें पूरी कर लेंगे लोग।

( Shalabh Gupta "Raj")