Wednesday, February 26, 2014

"प्रेम-गीत ..."

खामोशियाँ बोलने लगीं हैं, 
"राज" सारे खोलने लगी हैं ,
कान्हा की बांसुरी के संग ,
गोपियाँ प्रेम-गीत गाने लगी हैं . "

Wednesday, February 19, 2014

"प्यास..."

बादल झूठे हो सकते हैं,
धरती की प्यास नहीं,
मुस्कराहटें झूठी हो सकती हैं,
मगर एहसास नहीं।  

Saturday, February 15, 2014

" धरोहर..."

वो फूल आज भी महकते हैं,
दिल में दीये आज भी जलते हैं,
तेरी दुआएँ हैं धरोहर मेरी,
तेरी यादों संग हम चलते हैं।  
( शलभ गुप्ता "राज")

Tuesday, February 11, 2014

"खुशबू..."

रूप बदल-बदलकर मुझसे मिलने आता है,
वो शख्स मुझसे ना जाने क्या चाहता है ?
जब भी उससे पूछा उसके आने का सबब,
बस खुशबू की तरह सांसों में घुल जाता है .
( शलभ गुप्ता "राज")

Sunday, February 9, 2014

"जज्बात..."

यूँ तो दुनिया देखी हैं हमने, हज़ारों लोगों से मिले हैं।
सच्चे जज्बात , बस बुजुर्गों की दुआओं में मिले हैं।  
( शलभ गुप्ता "राज")

" मोहब्बत..."

खामोश हूँ मगर बेखबर नहीं,
शायद मोहब्बत की  होती जुबां नहीं !

Friday, February 7, 2014

"दिल और धड़कन ..."

एक दिन अपने दिल से होकर नाराज़,
बातों-बातों में हमने उससे कह दिया।
ऐ दिल ना परेशान कर और धडकना छोड़ दे।
दिल बोला बड़े इत्मीनान से ,
छोड़ दूंगा मैं उस दिन धडकना ,
"राज" प्यार करना तू जिस दिन छोड़ दे।
 ( शलभ गुप्ता "राज")

"आयाम..."

नये लोग मिले नये ख्यालात मिले हैं।
मेरे शब्दों को नये अलंकार मिले हैं ।
जब से मिले हैं आप सब मुझे ,
जीने के मुझे नये आयाम मिले हैं।

Thursday, February 6, 2014

" राहें..."

ज़िन्दगी के घुमावदार रास्तों ,
संकरे मोड़ों के गुज़र जाने के बाद ,
दिखाई देने लगती हैं हमको ,
बड़ी-बड़ी और खुली राहें।

Wednesday, February 5, 2014

"दिल के दर्द.."

एक बार कहा था किसी ने  “बोलती हैं तस्वीरें”,
आज महसूस हुआ सच बोलती है तस्वीरें,
बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाती है तस्वीरें ..
दिल के दर्द को आखों से बयां कर जाती हैं तस्वीरें 
- शलभ गुप्ता "राज"

Tuesday, February 4, 2014

"बसंत पंचमी...."

शब्दों का अतुल भण्डार दो माँ, हृदय को नये विचार दो माँ। इतना मुझ पर उपकार करो माँ। जीवन मेरा संवार दो माँ। अनुभूतियों को साकार दो माँ।
सृजन को व्यापक स्वरुप दो माँ। श्वेत पृष्ठों को इंद्रधनुषी कर दूँ, मेरे शब्दों को नये रंग दे दो माँ। "शलभ" को नये आयाम दो माँ। शब्दों का मुझे उपहार दो माँ। कुछ ऐसा लिखे मेरी लेखनी, पढ़कर सब निहाल हो जाएँ माँ।


तस्वीर- साभार गूगल