Friday, May 8, 2015

"अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम .."

जिस समुन्दर को रोज देखा करते थे हम ।
लहरों से खूब बातें किया करते थे हम ।
अब उन किनारों को दूर छोड़ आये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
मगर इन "यादों" को कहाँ ले जाएँ हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
"यादें" सहारा होती है जीवन का ,
मेरे साथ रहती हैं हमेशा "यादें" और "हम" ।
पहले भी तन्हा थे और आज भी तन्हा हैं हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
शिकवा नहीं किसी से ना शिकायत है कोई,
चलो, कुछ लम्हों के लिए तो मुस्करा लिये हम ।
उनकी "ख़ामोशी" , सब कुछ समझ गये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
(Shalabh Gupta "Raj")