Sunday, June 28, 2015

"तस्वीर.."

कोई एक सांस आखरी होगी,
उस लम्हा सबसे बात आखरी होगी,
रह जायेगें फिर तस्वीर बनकर,
ख़्वाबों में  ही बस  मुलाकात होगी।  
-  Shalabh Gupta "Raj"

Thursday, June 25, 2015

"मुंबई .."

बारिशों में भीगकर मुंबई सयानी हुई,
जैसे किसी के प्यार में दीवानी हुई !
- Shalabh Gupta

Wednesday, June 24, 2015

"अजनबी.."

"वह अजनबी होकर भी, मेरी दुआओं में शामिल है,
दुनिया में बहुत कम लोगों को, यह मुकाम हासिल है "
Shalabh Gupta "Raj"

Saturday, June 13, 2015

"पुरानी किताब .."

















शहर में रह कर भी अनजान सा हूँ ।
अपनों के बीच भी गुमनाम सा हूँ ।
पत्थरों का मोल लगाती है यह दुनिया,
हीरों के शहर में भी बे-भाव सा हूँ ।
सुबह हो न सकी जिस दिन की कभी,
उस दिन की ढलती शाम सा हूँ ।
वक्त की गर्द क्या चढ़ी नयी किताब पर,
दिखता आजकल पुरानी किताब सा हूँ।
Shalabh Gupta "Raj")


Friday, June 12, 2015

"बंज़र जीवन .."

"यदि आँखों में किसी की कोई नमी नहीं हैं।
धरती उस दिल की फिर उपजाऊ नहीं है।
संवेदनाओं का एक भी पौधा अंकुरित होता नहीं जहाँ,
ऐसा बंज़र जीवन जीने के योग्य नहीं हैं।"
( Shalabh Gupta "Raj")

Wednesday, June 10, 2015

"यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें.."

इस भागती - दौड़ती ज़िन्दगी में , 
कुछ पल तो अपनों के लिये रखो दोस्तों,
अधूरेपन से ना व्यक्त करो,
अपनी भावनाओं को ,
वरना अपने भी पराये होते रहेगें, 
यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।
सूरज अपना चक्र कम कर दे अगर, 
यह दिन के उजाले भी जाते रहेगें।
चाँद जल्दी घर जाने लगे अगर, 
सपने अधूरे हमारी आखों में ही रहेगें।
खुल कर ना बरसें बादल अगर, 
धरा पर हम सब फिर प्यासे रहेगें।
अधूरेपन से ना व्यक्त करो,
अपनी भावनाओं को 
वरना अपने भी पराये होते रहेगें, 
यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।
- शलभ गुप्ता "राज"

Tuesday, June 9, 2015

"नये सफर.."

यादों के सहारे कब तक जिया जायेगा ,
चल उठ, अब फिर से जिया जायेगा।  
कल की गठरी को मन से उतार,
अब नये  सफर पर चला जायेगा।  
तमाम उम्र झुलसती रही ज़िन्दगी,
अब के बारिशों में खूब भीगा जायेगा।  
भीड़ में भी तन्हा ही चलते रहे "शलभ",
अब किसी को हमराह बनाया जायेगा।  
( शलभ गुप्ता "राज")

Sunday, June 7, 2015

"कहानी.."

हज़ारों लोग मिले , मौज़ों की रवानी में,

तुम ही बस याद रहे , ज़िन्दगी की कहानी में।

Saturday, June 6, 2015

लम्हे..

मुझसे खुश होकर गले मिले , जाते हुये लम्हे।

आते हुये लम्हे बोले, "जन्मदिन की हार्दिक बधाई"!

"जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई"..




















"एक बार फिर से दीजिये,  एक- दूसरे को बधाई।
खुशियों  की सौगात लिये  6 जून की सुबह आई।
सूरज की किरणों ने, प्रेषित  की पहली बधाई।
फिर चिड़ियाँ चहचहायी, "जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई"!
सागर की लहरों ने प्रेषित की दूसरी बधाई।
फिर हवा गुनगुनाई, "जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई"!
एक बार फिर से दीजिये,  एक- दूसरे को बधाई।
खुशियों  की सौगात  लिये  6 जून की सुबह आई।
बधाईयों  के सिलसिले यूँ ही अनवरत चलते रहें,
हम आपको और आप  हमें यूँ ही याद करते रहें।
हज़ारों लोग मिले , मौज़ों की रवानी में ,
तुम ही बस याद रहे , ज़िन्दगी की कहानी में।
ज़िन्दगी से खुश होकर गले मिले , जाते हुये लम्हे।
आते हुये लम्हों ने कहा, "जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई"!
एक बार फिर से दीजिये,  एक- दूसरे को बधाई।
खुशियों  की सौगात लिये 6 जून की सुबह आई।"
- शलभ गुप्ता "राज"


Monday, June 1, 2015

"अमलतास"

अमलतास के फूल हैं यह,

शायद कुछ कह रहे हैं,

कुछ सुना आपने ,

क्या  वही ?

अभी-अभी जो सुना है मैंने,

शायद वही !