Monday, December 12, 2016

"चाँद ..."

होंगें कई चाँद और आसमानों में,
एक भी चाँद नहीं मेरे आसमान में।
कह दो "राज" तुम उनसे जाकर,
बिना नीर के बादल हैं मेरे आसमान में।

Sunday, December 11, 2016

"समुन्दर..."
















कल शाम समुन्दर से मुलाकात हो गयी,
कुछ देर में जान पहचान हो गयी,
एक समुन्दर था मेरी नजरों के सामने,
एक समुन्दर मेरी आखों में था ।
वो भी छलक जाता था लहर बन के ,
आखें भी छलक जाती थी याद बन के ।
शांत था बहुत समुन्दर, बस शोर हवाओं का था ।
मेरे लौटने का इन्तजार , किसी को आज भी था ।
Photo- Mahabalipuram, Chennai
@ Shalabh Gupta

Thursday, December 8, 2016

"मुस्कराहट..."

उदास रहने से कुछ नहीं हासिल,
थोड़ा मुस्कराओ तो कुछ बात बने।

Sunday, December 4, 2016

"रौशनी.."



आओ , मिलकर कुछ रौशनी करें हम सब,
इस शहर में आजकल अँधेरा बहुत हैं !!


(दोनों तस्वीरें भी मेरे कैमरे से ही हैं )
(शलभ गुप्ता "राज")

Friday, December 2, 2016

"सफ़र..."

"एक जोड़ी पुराने जूते हैं पास मेरे,
और एक नये सफ़र की तैयारी है।
मेरे जाने का जबसे पता चला है ,
घर में सबकी आखें भारी हैं 
सबसे बड़ा बेटा हूँ घर का ,
अभी काम बहुत करने हैं 
जीवन रुपी समुन्द्र में , 
सघन मंथन
 के बाद ही ,
तो
 अमृत कलश निकलने हैं  "
(Shalabh Gupta)