Saturday, October 22, 2016

"निः शब्द..."

ऐ वक्त मेरे , तू बार-बार,
मेरा इम्तहान क्यों लेता है।
लिखने बैठता हूँ जब भी मगर,
मुझे निः शब्द कर देता है।



Thursday, October 20, 2016

"चाँद कल रात का...."

चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।
सांझ ढले से ही, बस उसका इंतज़ार था।
मेरे चाँद का , जुदा सबसे अंदाज़ था।
आंसमा में चमक रहा, मानों आफताब था।
छत पर बैठ कर , बतियाँ की ढेर सारी।
आखों ही आखों में गुज़र गयी रात सारी ।
चंद लम्हों में ही, कई जन्मों का साथ था।
चांदनी में उसकी, अपनेपन का अहसास था।
चाँद कल रात का, वाकई बहुत ख़ास था।

Wednesday, October 19, 2016

"चाँद" मेरे..."

आज देर से आएगा आसमान में "चाँद",
"चाँद" मेरे, तुम ही जल्दी घर आ जाना !!

"चाँद..."

कल कह दिया था चाँद ने,
थोड़ी देर से आऊंगा आज !!

Tuesday, October 18, 2016

"नये शब्द.."

आज लिखने हैं कुछ नये शब्द,
एक नये अहसासों  के साथ।

Thursday, October 6, 2016

"मुस्कान..."

प्लास्टिक की मुस्कान मिले जिन चेहरों पर,
दोस्तों उनसे मिलना ज़रा संभालकर ,
रिश्तों की अहमियत न हो जहाँ,
कीमती आंसुओं को रखना वहाँ संभालकर "

Tuesday, October 4, 2016

"कहानी आपकी.."

चेहरे की उड़ी- उड़ी रंगत , कह रही है कहानी आपकी। बहुत मजबूर, ग़मों से चूर लग रही है सूरत आपकी। बोझिल पलकें बता रहीं हैं , कई रातों से नीदें अधूरी हैं आपकी। चेहरे की उड़ी- उड़ी रंगत , कह रही है कहानी आपकी। तितली की तरह उड़ना था आपको आकाश में एक कमरे में सिमट कर रह गई है ज़िन्दगी आपकी। कुछ ढूँढ रहीं है आपकी बैचेन निगाहें, शायद कोई चीज खो गई है आपकी। चेहरे की उड़ी- उड़ी रंगत , कह रही है कहानी आपकी। टूट कर चकना चूर हो गई , दिल के कानिस पर जो रखी थी ख्वाबों की तस्वीर आपकी। कहने को तो मुस्करा रहें हैं आप, मगर सच कहते हैं हम। पहले जैसी , वो मुस्कराहटें अब नहीं है आपकी। चेहरे की उड़ी- उड़ी रंगत , कह रही है कहानी आपकी