Monday, February 27, 2017

"अधूरे गीत.."

कई गीत आज भी अधूरे हैं,
डायरी के कई पन्ने कोरे हैं,
समझ ना पाए शब्दों को तुम,
गीत वो पूरे होकर भी अधूरे हैं।


"नये इन्द्रधनुष.."

आशाओं के नये इन्द्रधनुष बने,
आप सबकी दुआ रंग लायी है ,
साज के टूटे तारों को जोड़कर ,
फिर धुन एक नयी सजायी है .

Thursday, February 23, 2017

"ठहरी हुई चाँदनी..."

धीरे-धीरे ही सही,
फिर से चलने लगी है.
तेरा शुक्रिया "ऐ ज़िन्दगी",
जैसे घर के आँगन में,
मुंडेर पर ठहरी हुई चाँदनी,
रौशनी बिखेरने लगी है।
(शलभ गुप्ता "राज")


Saturday, February 18, 2017

"एक कविता.."


बहुत दिन हुए,
तुमसे मिले हुए ,
दिल की बातें किये हुए .
तुम पर,
एक कविता लिखे हुए ।

(शलभ गुप्ता "राज")