Wednesday, October 25, 2017

"पत्थर दिल.."

अक्सर ना जाने क्या टूटता है मुझमें ,
लोग तो कहते हैं पत्थर दिल है मेरा !
@ Shalabh Gupta

Friday, October 20, 2017

"दीप.."

बनावटी रोशनियों की चकाचोंध में,
कुछ भी दिखाई नहीं देता,
प्रेम का एक ही दीप काफी है,
उम्र भर रौशनी देने के लिये।
@ शलभ गुप्ता

"मिठास .."

उस मिठाई में कोई  मिठास नहीं होती ,
जो माँ के हाथों से बनी नहीं होती।  
@ शलभ गुप्ता 

Sunday, October 1, 2017

"सच्चे जज्बात.."

यूँ तो दुनिया देखी हैं हमने, हज़ारों लोगों से मिले हैं।
सच्चे जज्बात , बस बुजुर्गों की दुआओं में मिले हैं।

@ शलभ गुप्ता
(अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर)

"घर का आँगन.."

प्रत्येक घर में आपका सदा निवास रहे।
खुशियों से परिपूर्ण सबका आवास रहे।
आपका आगमन परम सौभाग्य हमारा,
तुलसी से सुगन्धित सबका आँगन रहे।

@ शलभ गुप्ता (1 अक्टूबर 2017)