Monday, April 30, 2018

"ठंडी छाँव .."

हर मौसम में मुस्कराता हूँ।  
तपन में और भी निखर जाता हूँ।  
पथिक का साथ निभाता हूँ।  
धूप में भी ठंडी छाँव बन जाता हूँ।  
@ शलभ गुप्ता 





Thursday, April 19, 2018

"बचपन के दिन.."

“बच्चे नहीं जानते ,
कि बच्चे क्या होते हैं ।
चोट उनको लगे ,
अहसास दर्द के हम को होते हैं ।
दर्द अपना छुपा कर ,
उनको फिर समझाते हैं .
मुझको अब अपने ,
बचपन के दिन याद आते हैं ।
@ शलभ गुप्ता