I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Wednesday, April 27, 2011
"फिर भी कोई याद नहीं करता ..."
यहाँ कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता । मरने वाले के साथ कोई नहीं मरता । सुना है लोग भूल जाते हैं मौत के बाद , यहाँ तो जिन्दा हैं फिर भी कोई याद नहीं करता ।
अजी साहेब ,हम याद कर लेते है न आप को ?आप ही हमे याद नही करते ?और मरे आपके दुश्मन ?बहुत बढिया शेर अर्ज किया हे )
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