I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Friday, March 4, 2011
ना जाने कहाँ से आ जाते हो ,तुम मित्र मेरे !
जब वक्त के दो राहे पर,
ठहर जाते हैं कदम मेरे,
आकर रास्ता दिखा जाते हो ।
ना जाने कहाँ से आ जाते हो ,
तुम मित्र मेरे !
हालातों के बिखरते हुए पलों में,
जब आंसुओं से भीगने लगते हैं नैन मेरे,
आकर मेरे लिए "कान्धा" बन जाते हो ।
ना जाने कहाँ से आ जाते हो ,
तुम मित्र मेरे !
जब कभी कुछ कहते - कहते
लड़खडाने लगते हैं होंठ मेरे,
आकर "नए शब्द" दे जाते हो।
ना जाने कहाँ से आ जाते हो ,
तुम मित्र मेरे !
उदासी से भरी ज़िन्दगी में,
कोई नहीं देता जब साथ मेरा,
मेरे संग होने का "आभास" दिला जाते हो।
ना जाने कहाँ से आ जाते हो ,
अपनेपन का अहसास दे जाते हो।
ना जाने कहाँ से आ जाते हो ,
तुम मित्र मेरे !
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bhut khubsurat kavita hai...
ReplyDelete@ Sushma Ji : Aapka Hradey Se Aabhaar... Swagat Hai Aapka Mere Blog Parivaar Me...
ReplyDeleteमेरे भी कुछ मित्र ऐसे ही है ...'दोस्ती 'कविता में मैने जिक्र किया है ..
ReplyDeletehttp://armaanokidoli.blogspot.com