I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Saturday, March 12, 2011
बस "अपने" नहीं हैं.....
सब कुछ है परदेस में, बस "अपने" नहीं हैं । कुछ दिनों से ना जाने, क्या हुआ है मुझे ; आखों में आंसू , अब रुकते नहीं हैं। शायद, कोई नाराज़ है मुझसे; इतने बुरे तो हम नहीं हैं । सबकुछहैपरदेसमें, बस "अपने" नहींहैं ।
Bahut sundar वेसे भी इस शहर में कोन 'अपना' है--सब पराए है --मुझे तो आज तक कोई नही मिला ---?
ReplyDelete