I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Tuesday, March 22, 2011
हमारे घर का "उत्सव" - हमारा प्यारा "शानू"....
ना गुब्बारे , ना खिलोने , ना उसे मिठाई चाहिये।
हमसे ना उसको कोई तोहफा चाहिये ।
खुशियों का बस उसे साथ चाहिये ।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
खूब भीगता है वह , बारिशों के मौसम में ;
इन्द्रधनुष के रंगों को देखने के लिए मगर,
आखों में "उसे" रौशनी चाहिये।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
लिखे हुए से ज़्यादा कोई जी सकता नहीं,
अपनी ज़िन्दगी के सारे लम्हें ,
चाहकर भी मैं उसे दे सकता नहीं...
बस में होता हमारे अगर,
फिर कोई कभी मरता नहीं,
कुदरत का कोई करिश्मा चाहिये।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
हारना उसने ना सीखा है कभी,
मुस्कारते हुए जीता है वह हर लम्हें सभी,
ज़िन्दगी जीने की उस जैसी ,बस ललक चाहिये।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
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bas aashirwaad hi aashirwaad hai shanu ke liye
ReplyDelete@ Rashmi Prabha Ji : Ek Din Hamara Shanu Zaroor Dekhega, Mujhe Bhagwaan Par Poora Vishvaas Hai...
ReplyDeleteशानू बेटे की बेनूर आँखे सवाल पूछ रही है जिनका मेरे पास कोई जबाब नही --
ReplyDeleteकेवल इश्वर से प्रार्थना करती हु की उसकी आँखों को इन्द्र धनुष -सी चमक दे दे !
@ Darshan Kaur JI : Mere Jeene Ka Sabab Hai "Shanu" , Mere Ghar Ki Muskaan Hai "Shanu"...
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