I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Friday, January 21, 2011
"कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ..."
कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ।
इस बात का "चाँद" को अहसास है ।
गुज़रती है रात करवट बदल-बदल कर,
बिना कुछ कहे, सब कुछ समझने का अहसास है ।
गुमसुम सी रात है , ना जाने क्या बात है ।
रजनीगंधा सी महकती हुई किसी की याद है ।
कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ।
इस बात का "चाँद" को अहसास है ।
सारे तारे कुछ बोल रहे हैं ।
दिल का हाल पूछ रहे हैं ।
"चांदनी" मगर खामोश है ।
"चाँद" को पता है किस्सा सारा ,
भीगी पलकों ने कह दिया हाल सारा,
समुन्दर के शहर में, समुन्दरों सी प्यास है ।
कभी लगता है बहुत दूर है वह,
और कभी लगता है वो बहुत पास है ।
कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ।
इस बात का "चाँद" को अहसास है ।
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