उसके घर का दरवाजा हमेशा बंद रहता है।
ना जाने कैसा शख्स है वो,
जो अपने ही घर में कैद रहता है।
खिड़कियाँ भी बंद हैं और रौशनदान भी ,
ना जाने कैसा शख्स है वो,
जो दिन में भी अँधेरा किये रहता है।
उसके घर का दरवाजा हमेशा बंद रहता है।
जमाना हो गया उसको देखे हुए,
ना जाने कैसे वो ख़ुद को,
दुनिया से छुपाये रखता है।
उसके घर का दरवाजा हमेशा बंद रहता है।
शायद बहुत मजबूर है वो,
अपनों से क्यों दूर है वो ....
चलो, आज उसके घर हो आऊं मैं ।
दरवाज़े पर उसके हौले से एक दस्तक दे आऊं मैं।
अंधेरे जीवन में उसके , उजाला कर आऊं मैं।
दुःख: दर्द सब बाँट लूँ उसका....
मुस्कराहटों के कुछ गुलदस्ते , आज उसे दे आऊं मैं।
यूँ तो मैं कुछ लगता नहीं उसका मगर,
दिल में हमेशा उसका ख्याल रहता है।
ना जाने कैसा शख्स है वो,
जो अपने ही घर में कैद रहता है।
उसके घर का दरवाजा हमेशा बंद रहता है।
मुस्कराहटों के कुछ गुलदस्ते , आज उसे दे आऊं मैं। bilkul sahi soch rahe hai aap....
ReplyDelete@ Sushma Ji: Aapka Dhanyavaad, Aaj Koshish Kar Ke Dekhte Hain....Ek Baar Phir Se Jee Ke Dekhte Hain....
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