I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Friday, June 17, 2011
"पहले जैसे इन्द्रधनुष , अब बनते नहीं हैं...."
ऐसा नहीं कि , बूंदों से मुझे प्यार नहीं है।
अब की बारिशों पर , मुझे ऐतबार नहीं हैं।
आती हैं घटायें , किसी अजनबी की तरह।
पहले की तरह अब बरसती नहीं हैं।
पहले जैसे इन्द्रधनुष , अब बनते नहीं हैं।
बूंदों में अब, अपने पन का अहसास नहीं हैं।
ऐसा नहीं कि , बूंदों से मुझे प्यार नहीं है।
अब की बारिशों पर , मुझे ऐतबार नहीं हैं।
बदल गया है वक्त बदल गया ज़माना ,
खुले मन से अब "दोस्त" मिलते नहीं हैं ।
पहले जैसे इन्द्रधनुष , अब बनते नहीं हैं ।
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सुंदर पंक्तियां...
ReplyDeleteऐसा नहीं कि , बूंदों से मुझे प्यार नहीं है।... very touching lines....
ReplyDelete@ Veena Ji: Aapka Shukriya, Aapko Yeh Poem Pasand Aayi..
ReplyDelete@ Sushma Ji: शायद "बूंदों" की भी कुछ मजबूरियाँ हैं ....आपको कविता पसंद आई ..आपका बहुत-बहुत शुक्रिया....
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