I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Sunday, June 12, 2011
"मेरी आखों पर पहरे हैं ..."
तुम्हारी यादों के आंसू, मेरी पलकों पर आकर ठहरे हैं । बरस नहीं सकते मगर, मेरी आखों पर पहरे हैं । "राज" बहुत गहरे हैं । जुदा हुये थे जिस मोड़ पर, हम आज तक वहीं ठहरे हैं । किस तरह याद करें तुमको, मेरी हिचकियों पर पहरे हैं । "राज" बहुत गहरे हैं ।
bhut acchi rachna...
ReplyDelete@ Sushma ji : Thanks .....
ReplyDelete"भीगने की जब आदत हो गयी,
चार दिन बरस कर बारिशें थम गयीं "