Sunday, December 31, 2017

"अलविदा 2017"

पुराने कैलेंडर से गले मिलकर ,
आज बहुत रोईं घर की दीवारें। 

अलविदा 2017
@ शलभ गुप्ता 

Wednesday, December 13, 2017

"घुटन.."

"आँसू" हो या "बारिशें",
बरस जाएँ तो ही अच्छा है,
वरना घुटन बहुत हो जाती है,
दिल में हो या फिर मौसम में..
@ शलभ गुप्ता 

Sunday, December 10, 2017

"मित्र"

"कौतुहल" राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका, October 2017 के अंक में भी,
मेरी एक और कविता प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक है "मित्र".
आशा करता हूँ, आप सबको भी कविता पसंद आएगी.. 
सम्पादक महोदय को एक बार फिर से धन्यवाद !


Saturday, December 9, 2017

पत्रिका "कौतुहल" में, प्रकाशित मेरी कविता "मित्र".

राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका "कौतुहल" के October 2017 के अंक में,
प्रकाशित मेरी एक और कविता, जिसका शीर्षक है "मित्र".
सम्पादक महोदय का हृदय से आभार !

 


"जख्म"

जख्म पुराने अब भर गये सारे। 
ऐ-दिल, ढूंढ ले अब कोई दर्द नया। 

@ शलभ गुप्ता