Friday, February 22, 2019

"धूप.."

गुनगुनी से धूप,
बादलों की चादर ओढ़े हुए।
जरा सी बारिशें,
ढेर सारी यादें लिए हुए।
@ शलभ गुप्ता  

"यादें"

बिन बुलाये मेहमान की तरह,
"यादें" हर रोज़ चली आतीं हैं। 
@ शलभ गुप्ता 

"एक कविता.."

बहुत दिन हुए,
तुमसे मिले हुए।
दिल की बातें किये हुए,
एक कविता लिखे हुए। 
@ शलभ गुप्ता