Monday, February 19, 2024

"संविदा.."

ज़िन्दगी की,
नौकरी में,
कुछ दर्द,
संविदा पर,
मिले थे मुझे। 
कुछ इस तरह,
मेरा साथ, 
भाने लगा उन्हें। 
धीरे धीरे,
वो दर्द सारे,
permanent हो गए। 
और छोड़कर अब,
जीते नहीं मुझे।  

Saturday, February 17, 2024

"व्हाट्सऐप स्टेटस.."

अब तुमसे,
बातें नहीं करता हूँ,
तो क्या। 
व्हाट्सऐप के,
स्टेटस पर,
गाने तो आज भी,
तुम्हारी पसंद के ही,
लगाता हूँ मैं। 
अकेले होकर भी,
तन्हा नहीं,
रहता हूँ मैं। 
पांच मिनट के,
उस गाने में फिर,
मीलों तुम्हारे संग,
चलता हूँ मैं। 

शेष फिर........ 

Tuesday, February 6, 2024

"अहमियत.."

वो हर दिन,
बहुत परेशां करता था मुझे। 
धीरे धीरे मैंने,
उसकी अहमियत ही,
कम कर दी ज़िंदगी से। 
मैं उसे भूलने लगा,
फिर सब ठीक होने लगा। 
अब मैं सुकूं से रहता हूँ,
और मेरा "दर्द" परेशां।