Monday, May 19, 2014

"पत्थर दिल.."

अक्सर ना जाने क्या टूटता है मुझमें ,
लोग तो कहते हैं पत्थर दिल है मेरा !
Aksar Naa Jaane Kya Tutta Hai Mujhme,
Log To Kehate Hain Patthar Dil Hai Mera !
( शलभ गुप्ता "राज")

Sunday, May 11, 2014

"माँ" सिर्फ एक शब्द नहीं...

"माँ" सिर्फ एक शब्द नहीं,
सम्पूर्ण जीवन का वृतांत है।
उससे ही है हमारा अस्तित्व ,
संसार में एक पहचान है।
हर दिन उनके लिए ख़ास है,
"माँ" का साथ, जिनके पास है।
माँ के लिए , एक ही दिन नहीं,
सारा जीवन उनके नाम है।
उससे ही है हमारा अस्तित्व ,
संसार में एक पहचान है।
(शलभ गुप्ता "राज")

Thursday, May 1, 2014

"घर अब खाली सा लगता है ...."

घर अब खाली सा लगता है ।
घर में नहीं, अब मन लगता है ।
ना जाने कैसी खामोशी है घर में ,
क्या हो गया यह कुछ ही दिन में ।
दिल है मगर धड़कन नहीं ,
साज है मगर आवाज़ नहीं ,
सब कुछ सूना सा लगता है ।
जीवन के इस नाजुक मोड़ पर,
आप साथ छोड़ कर चले गये । 
बीते लम्हें जब याद आते हैं ,
आखों में आंसुओं का मेला लगता है । 
सब कुछ सूना सा लगता है । 
घर में नहीं, अब मन लगता है। 
जीने को तो जी ही लेंगे हम मगर,
बिना आपके , यह जीवन 
अब बोझिल सा लगता है । 
घर अब खाली सा लगता है । 
घर में नहीं, अब मन लगता है ।

( मेरे पूज्य पिताश्री को समर्पित )