Sunday, June 6, 2021

"आपके जन्मदिन पर, क्या उपहार दूं आपको.."

प्रातः काल की पहली किरणों से शुरू हुआ,
जन्मदिन की शुभकामनाओं का आगमन।
प्रसन्नता से प्रफुल्लित हृदय का अन्तःकरण,
6 जून की सुबह से, सुगंधित घर का आंगन।
अरब सागर के किनारे हवा के ठंडे झोके,
आपको बधाई संदेश प्रेषित कर रहे हैं।
आसमां में उड़ते पंछी भी आपके लिए,
सुबह से ही "हैप्पी बर्थडे" गुनगुना रहे हैं।
खुशी का उत्सव सा है आज फिज़ाओं में,
अपनों के फोन, सुबह से ही आ रहे हैं।
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा हो या चर्च,
सब जगह से आपको आशीर्वाद मिल रहे हैं।
हर बार की तरह, गिफ्ट कोई नहीं लाया हूं।
आपकी तरह, ग्रीटिंग कार्ड् भी नहीं बना पाया हूं।
आपके जन्मदिन पर, क्या उपहार दूं आपको ?
कुछ शब्दों को जोड़कर, बस यह कविता लिख पाया हूं।
@ शलभ गुप्ता

"पथराई आंखों में ठहरी, बिछुड़ने की निशानियां हैं.."

यूं तो जून का महीना हर साल ही आता है,
मगर, इस बार मुझे ऐसा महसूस हुआ,
जैसे बरसों बाद, यह महीना आया है।
विश्व और देश पर आए इस कठिन समय में,
खुद को जीवित रखना, बहुत बड़ी चुनौती है।
कई अपने लोग, बहुत दूर चले गए हैं।
उनकी यादें ही अब हमारी धरोहर हैं।
यूं तो हर साल बारिशें आती हैं इसी महीने,
मेरे "जन्मदिन" की खुशियां और बधाइयां लेकर।
मेरे घर में भी कुछ परेशानियां आई थीं,
जब यह महामारी घर में मिलने आई थी।
थर्मामीटर और आक्सिमीटर बने शस्त्र,
कुछ दवाइयों बनी संजीवनी बूटी,
आप सबकी दुआओं ने भी तो बहुत असर किया।
फिर सबने मिलकर, कोरोना से युद्ध जीत लिया।
मगर इस बार की खुशियों में बहुत उदासियां हैं।
पथराई आंखों में ठहरी, बिछुड़ने की निशानियां हैं।
किसी की भी एक कॉल, चिंता बढ़ा जाती थी।
"सब ठीक है यहां", सुनकर ही तसल्ली आती थी।
सरकारी आंकड़ों से तो लगता है कि अब,
धीरे - धीरे सब कुछ ठीक होने सा लगा है।
ठहरा सा जीवन, एक दो कदम चलने लगा है।
इस बार तो, बड़ी लम्बी दूरी तय की है रात ने..
बहुत दूर आसमां में कुछ उजाला होने को है।
अपनों से मिलने के मौसम फिर आने वाले हैं।
उदास लम्हें, अब बहुत दूर जाने वाले हैं।
प्रभु, हम सब पर अपना आशीर्वाद सदैव बनाए रखना।
जीवन के कठिन पलों में भी जीना सिखाते रहना।
हम इंसान, एक दूसरे के दर्द को महसूस कर सकें,
हम सभी को, इतनी ज़रूर समझ देना।
© शलभ गुप्ता