Saturday, March 7, 2020

कुछ पंक्तियाँ ..

[१]
आंसुओं का भी एक मौसम होना चाहिये। 
हिचकियों को भी तो थोड़ा आराम चाहिये। 
[२]
बड़े खुशनसीब होते हैं , वो "रूठे" हुए लोग। 
जिनको मिलते हैं , "मनाने" वाले लोग।  
[३]
तेरे बिना कुछ तो कमी है। 
तभी तो आँखों में नमी है। 

Tuesday, February 25, 2020

ऐ ज़िन्दगी, तेरा शुक्रिया !!

ऐ ज़िन्दगी, तेरा शुक्रिया !!
धीरे धीरे ही सही,
फिर से चलने लगी है।
जैसे घर के आँगन में,
मुंडेर पर ठहरी हुई धूप,
रौशनी बिखरने लगी है। 

"रात .."

रात जैसे नदी है कोई ठहरी हुई।
यादों की कश्ती गुज़रती ही नहीं।

"अजनबी.."

वह अजनबी होकर भी,
मुझे अपना सा लगता है।
पिछले जनम का शायद,
उससे कोई रिश्ता लगता है।

Thursday, January 30, 2020

बिछुड़ना ..

किसी के,
बिछुड़ जाने से भी  ज़्यादा,
परेशां करता है,
उससे बिछुड़ जाने का डर। 

"खुशबू .."

वो शायद खुशबू  थी कोई,
अब मेरे साथ नहीं तो क्या।
अकेलेपन के इस वीराने में भी,
आज तक महक रहे हम। 

कुछ पंक्तियाँ..

[१]
सारी परेशानियां दूर हो जाएँगी जनाब,
बस एक  बच्चों सा  बनकर तो देखिये।
[२]
अपनी परछाईं को उलझाकर, मीठी मीठी बातों में।
तस्वीर उसकी कैद कर ली, हमनें अपनी आँखों में। 

Saturday, January 11, 2020

"ज़िन्दगी .."

हज़ार गम हैं ज़िन्दगी में तो क्या,
शिकवे शिकायत मत किया करो।
सुख दुःख हैं साइकिल के दो पहिये,
आप बस, घंटी बजाते चला करो।
हर मुश्किल हो जाएगी आसान,
आप बस, मुस्कराते रहा करो। 
हालातों से लड़ने का मिला है हौसला,
खुदा का शुक्रिया अदा किया करो। 

Thursday, January 2, 2020

कुछ तारीखें ..

यूँ तो ज़िन्दगी में,
कई कैलेंडर बदल गये।
कुछ तारीखें आज भी,
संभालकर रखी हैं मैंने।  

अलविदा कैलेंडर 2019

एक एक करके महीने सारे,
कैलेंडर से बेवफाई करते रहे।
फिर भी उन्हें संभालती रहीं दीवारें।
बिछुड़ने का दर्द और कील की चुभन,
ख़ामोशी से सहती रहीं दीवारें।
दिसम्बर के आखिरी पन्ने से गले मिलकर,
आज बहुत रोईं मेरे घर की दीवारें।
(Written on 31.Dec.2019)