Wednesday, May 25, 2022

"बादल से मुलाकात"

कल सफर से वापस घर आते हुए,
राह में एक बादल से मुलाकात हुई। 
अजनबी थे दोनों एक दूजे ले लिए,
धीरे धीरे बातों की शरुआत हुई। 
बादल ने गंभीर होकर कहा मुझसे,
बड़ी टकटकी लगाए देख रहे हो,
पथिक, तुम क्या चाहते हो मुझसे ?
तुम क्या मेरी राह देख रहे हो ?
क्यों मेरा रास्ता रोककर खड़े हो ?
मैंने उससे कहा बड़ी उम्मीद से,
सब यहाँ बहुत याद करते हैं तुम्हें,
कुछ दिन ठहर जाओ मेरे शहर में। 
मेरी बातें सुनकर उसने कहा मुझसे,
मैं तुम्हारी बातों में आने वाला नहीं हूँ,
इतनी जल्दी बरसने वाला नहीं हूँ। 
बहुत जल्दी में था वह बादल शायद,
आकाश में दूर कहीं गम हो गया,
मुझे और धरती को उदास कर गया। 

सर्वाधिकार सुरक्षित : शलभ गुप्ता 
(19 मई 2022 को, हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र 
"रुहेला टाइम्स" मोदी नगर में प्रकाशित)

Saturday, May 21, 2022

"बादलों का साथ.."

इस बार सफर  में ,
बादलों का साथ हैं। 
मिलेगी बारिश राह में,
मन में यही आस है। 

तस्वीर : मेरे मोबाइल की नज़र से। 



Thursday, May 5, 2022

"अमलतास.."

मिल जाते हैं जब भी मुझे,
बैठा लेते हैं अपनी छाँव में। 
करते हैं फिर ढेरों बातें,
वृक्ष यह अमलतास के।  
@ शलभ गुप्ता 
फोटो : 
आज सुबह, मेरे मोबाइल की नज़र से। 


 

Wednesday, May 4, 2022

"चाँद" मेरे

नहीं हुआ दीदार ईद के "चाँद" का। 
"चाँद" मेरे तुम्हीं जल्दी घर आ जाना।