Tuesday, November 26, 2019

"सच्चा प्यार.."

वो ढूंढने निकले हैं,
सच्चा प्यार इस जहाँ में,
मैंने कहा उनसे,
शायद दूसरे जहाँ से आये लगते हो। 

Monday, November 25, 2019

"कुछ पंक्तियाँ .."

[१]
नहीं रोता हूँ मैं, अब किसी के लिये।
मेरे आंसू बहते हैं, खुद की प्यास बुझाने के लिये।
[२]
कुछ दिनों से कुछ खबर नहीं।
खामोश हूँ मगर बेखबर नहीं।

Saturday, November 23, 2019

"मेरे जूते.."

मैंने 20 रुपए में,
कल ही तो ठीक कराये थे।
10 रूपए की पॉलिश के बाद तो,
बिलकुल नए से हो गए हैं।
अब जाड़ों भर चल जायेंगें मेरे जूते।
एक जोड़ी भी हैं तो क्या,
कई महीने चल जाते हैं मेरे जूते।
और अब तो बड़े बेटे के,
पुराने जूते भी आ जाते हैं मेरे पैरों में।
आजकल के बच्चे भी ना,
बेकार में ही चिंता करते हैं।
आज मुझे बिना बताये,
मेरे लिए खरीद लाये,
बाजार से "एक जोड़ी" नए जूते।

"हिचकियाँ.."

मेरी हिचकियाँ ,
आज पता पूछ रहीं थीं तुम्हारा।
क्या तुमको,
अब मेरी याद भी आती नहीं। 

"मन की बातें.."

मैंने status पर,
अब तक कुछ लिखा नहीं।
मन की सारी बातें,
कह देती हैं आखें।
क्या तुमने समझा नहीं।
शायद कुछ शब्दों की,
होती जुबां नहीं।

Thursday, November 21, 2019

"दर्द.."

मुझे भी सिखा दो तुम,
दर्द को सहन करना।
नमक के शहर में,
जख्मों को खुला रखना।

"नये सवाल .."

ना जाने क्यों,
वक्त हर रोज़ मुझे,
कई  नये सवाल देता है।  
कुछ जवाब उसे मिल जाते हैं। 
कुछ  सवालों को मेरा दिल,
हंस कर टाल देता है।  

"खामोशियाँ"

सभी जवाब दिए जाएँ,
यह ज़रूरी तो नहीं।
"खामोशियाँ" भी अक्सर,
कई सवालों के जवाब होती हैं। 

Wednesday, November 13, 2019

चॉकलेट के इंतज़ार में...

देर हो जाती है अक्सर,
मुझे ऑफिस से घर आने में।
देर तक जागते हैं बच्चे,
फिर चॉकलेट के इंतज़ार में।

अपने हिस्से का आसमां.

इंसानों को,
धरती के हिस्सों के लिए,
अपनों से ही लड़ता देखकर। 
ये परिंदे भी,
कहीं रब से मांगने ना लगें,
अपने हिस्से का आसमां।  

ये भरम हैं सब..

हम साथी जीवन भर के,
ये भरम हैं सब पल भर के।
ज़रा सी बातों पर आजकल,
रख देते हैं लोग "block" कर के।

तुम्हारी आवाज़ सुने हुए...

हर समय बस,
व्हाट्स ऍप और मैसेंजर !!
यह मुझको ठीक लगता नहीं। 
कभी फ़ोन पर भी,
बात तो करो मुझसे। 
बहुत दिन हुए मुझे,
तुम्हारी आवाज़ सुने हुए,
तुम्हारे नाराज़गी भरे अंदाज़ में,
तुमसे, अपनी ही शिकायतें सुने हुए। 

Tuesday, November 5, 2019

"तुम्हारा ज़िक्र..."

अपनी कविताओं में आजकल,
मैं तुम्हारा ज़िक्र नहीं करता।
इसका मतलब यह नहीं समझना,
कि मैं तुम्हें याद नहीं करता। 

Saturday, November 2, 2019

कौन रूठेगा मुझसे..

[१]
मेरे हाथों में नहीं हैं तुम्हारे नाम की लकीरें।
अब बिछुड़ जाओ तुम, जुड़ा है हमारी तकदीरें।
[२]
"अपने" ही रूठते हैं, ऐसा कुछ सुना है मैंने।
कौन रूठेगा मुझसे, जब अपना है ही नहीं कोई।

जीवन...

दिन प्रतिदिन चलती सांसें,
हौले हौले घटता जीवन।
गुज़रते हुए लम्हों को लगाकर गले,
मुस्कराते हुए जियें सारा जीवन।

दिल में रहना ..

फेसबुक, इंस्टाग्राम ट्विटर पर,
हज़ारों लोग साथ भी हैं तो क्या ?
अगर आप किसी के दिल में नहीं हैं,
तो फिर आप कुछ भी नहीं हैं। 

कुछ पंक्तियाँ

[१]
पत्थर दिल पहाड़ भी, तन्हाइयों में बहुत रोते हैं।
ये बहते झरने, पहाड़ों के आंसू ही  होते हैं।
[२]
कश्ती  अकेली है तो क्या,
कहीं दूर नहीं जाना है मुझे।
मांझी बनकर सबको,
नदी पार ले जाना है मुझे।
[३]
अपने कदम मजबूती से रखो,
रास्ते खुद ही बनते जाते हैं।
ऊँचे नीचे रास्तों पर चलना,
राह के पत्थर ही तो सिखाते हैं। 


मीठी चाय..

तुम मेरी मीठी चाय बन जाना,
मैं नमकीन बिस्कुट बन जाऊंगा।
आज शाम मिलेंगें जब हम दोनों,
हौले हौले तुममे ही घुल जाऊंगा।