मुलाकातें भी करते रहिये,
मिलना ना हो अगर,
तो कभी कभी,
बातें ही करते रहिये।
और बातें ना हों अगर,
तो मैसेज ही करते रहिये।
रिश्ते सहेजते रहिये।
और हाँ, कई दिनों से अगर,
बातें नहीं भी हुई तो क्या ?
कभी खुद भी कर लीजिये।
रिश्ते संभालते रहिये।
रिश्ते सहेजते रहिये।
वर्ना अकेले रह जायेंगे।