Monday, February 19, 2024

"संविदा.."

ज़िन्दगी की,
नौकरी में,
कुछ दर्द,
संविदा पर,
मिले थे मुझे। 
कुछ इस तरह,
मेरा साथ, 
भाने लगा उन्हें। 
धीरे धीरे,
वो दर्द सारे,
permanent हो गए। 
और छोड़कर अब,
जीते नहीं मुझे।  

Saturday, February 17, 2024

"व्हाट्सऐप स्टेटस.."

अब तुमसे,
बातें नहीं करता हूँ,
तो क्या। 
व्हाट्सऐप के,
स्टेटस पर,
गाने तो आज भी,
तुम्हारी पसंद के ही,
लगाता हूँ मैं। 
अकेले होकर भी,
तन्हा नहीं,
रहता हूँ मैं। 
पांच मिनट के,
उस गाने में फिर,
मीलों तुम्हारे संग,
चलता हूँ मैं। 

शेष फिर........ 

Tuesday, February 6, 2024

"अहमियत.."

वो हर दिन,
बहुत परेशां करता था मुझे। 
धीरे धीरे मैंने,
उसकी अहमियत ही,
कम कर दी ज़िंदगी से। 
मैं उसे भूलने लगा,
फिर सब ठीक होने लगा। 
अब मैं सुकूं से रहता हूँ,
और मेरा "दर्द" परेशां।  

Tuesday, December 26, 2023

"रिश्ते संभालते रहिये.."

कभी कभी अपनों से, 
मुलाकातें भी करते रहिये,
मिलना ना हो अगर, 
तो कभी कभी, 
बातें ही करते रहिये। 
और बातें ना हों अगर, 
तो मैसेज ही करते रहिये। 
रिश्ते सहेजते रहिये। 
और हाँ, कई दिनों से अगर,
बातें नहीं भी हुई तो क्या ?
कभी खुद भी कर लीजिये।
रिश्ते संभालते रहिये।
रिश्ते सहेजते रहिये। 
वर्ना अकेले रह जायेंगे। 

"बदलते रिश्ते .."

बहुत सारी बातें,
बातों में कहानियां,
कहानियों में,
आने वाले कल की,
फिर ढ़ेर सारी बातें।  
फिर ना जाने क्यों,
कब और कैसे ?
बातों से रह गए शब्द,
फिर शब्दों से, 
रह गए बस इमोजी। 
अब इमोजी से,
रह गया  only seen,
कितने बदल गए हम,
कितने सिमट गए हम।

Thursday, November 30, 2023

"मुलाकात.."

जिन्दगी के,
सफर में,
कुछ,
ऐसे भी,
रास्तों से,
गुजरे हम।
ना ही,
साथ चला कोई,
और ना ही,
रास्ते में, 
किसी से,
मुलाकात हुई।
#poet_shalabh_gupta ✍️
#जिंदगी #रास्ते #मुलाकात 


Wednesday, November 29, 2023

"मेरे सिवा.."

कल साँझ ढले एक सफर में,
"चाय" ने फिर कहा मुझसे। 
सारी दुनिया में घूम आओ तुम,
मेरे सिवा तुम्हारा कोई नहीं। 

"कवितायेँ तुम्हारी.."

तुम अब, 
खामोश रहने लगे हो। 
बातें भी,
कम करने लगे हो। 
मगर,
कवितायेँ तुम्हारी,
बहुत बोलने लगी हैं। 
मन की बातें,
कहने लगी हैं। 
कल कहा,
किसी ने मुझे। 

Tuesday, November 28, 2023

"धरोहर.."

मकान, दूकान, चांदी, सोना,
कुछ नहीं है पास मेरे। 
मैंने सहेज कर रखी हैं,
तुम्हारी यादें। 
डायरी के कई खाली पन्ने,
और उन कोरे पन्नों में,
बुकमार्क की तरह,
रखे हैं मैंने,
चॉकलेट के खाली रैपर,
और कुछ सूखे हुए,
फूल गुलाब के।
यह फूल आज भी,
महक रहें हैं,
तुम्हारी यादों से। 
मैंने सहेज कर रखी हैं,
कुछ लिखी हुई,
अधूरी प्रेम कवितायेँ। 
कुछ अनकहे शब्द,
जिन्हें अब कहने,
और लिखने की,
ज़रूरत ही नहीं। 
मैंने सहेज कर रखे हैं,
कुछ unseen messages,
कुछ sorry,
कुछ thank you,
यही है धरोहर,
मेरी ज़िन्दगी की। 
और यही है,
बस वसीयत मेरी। 

(सर्वाधिकार सुरक्षित : शलभ गुप्ता ) 

Monday, November 27, 2023

"रेत के किनारे..'

भीगने से,
रह जाते हैं,
जो रेत के किनारे। 
उनके लिए,
बरसती है बारिश,
बार बार,
उस शहर में। 

(मुंबई की बारिश पर लिखी कुछ पंक्तियाँ.. )
कल भी बारिश हुई बहुत मुंबई में..