Friday, August 18, 2023

"भीमताल .."

भीमताल के प्रवास के समय....... 
सफर यूँ ही चलते रहें... 
हम बस यूँ ही लिखते रहें। 

[१]
हम समुन्दर का शहर,
छोड़ आये तो क्या ?
बादल बनकर सागर,
मुझसे मिलने आया है। 

[२]
इन पहाड़ों से मेरे रिश्ते बड़े पुराने हैं। 
सफर के रास्ते सारे  जाने पहचाने हैं। 

[३]
कभी नहीं लुभाये मुझे, वो सीधे साधे रास्ते। 
खुद के लिए चुने मैंने, पहाड़ों के सर्पीले रास्ते। 




"बारिश .."

अपनेपन का अहसास दे जाते हो,
ना जाने तुम कहाँ से आ जाते हो। 
कभी यादें कभी बारिश बनकर,
सफर में साथ निभाने आ जाते हो।