Thursday, November 30, 2023

"मुलाकात.."

जिन्दगी के,
सफर में,
कुछ,
ऐसे भी,
रास्तों से,
गुजरे हम।
ना ही,
साथ चला कोई,
और ना ही,
रास्ते में, 
किसी से,
मुलाकात हुई।
#poet_shalabh_gupta ✍️
#जिंदगी #रास्ते #मुलाकात 


Wednesday, November 29, 2023

"मेरे सिवा.."

कल साँझ ढले एक सफर में,
"चाय" ने फिर कहा मुझसे। 
सारी दुनिया में घूम आओ तुम,
मेरे सिवा तुम्हारा कोई नहीं। 

"कवितायेँ तुम्हारी.."

तुम अब, 
खामोश रहने लगे हो। 
बातें भी,
कम करने लगे हो। 
मगर,
कवितायेँ तुम्हारी,
बहुत बोलने लगी हैं। 
मन की बातें,
कहने लगी हैं। 
कल कहा,
किसी ने मुझे। 

Tuesday, November 28, 2023

"धरोहर.."

मकान, दूकान, चांदी, सोना,
कुछ नहीं है पास मेरे। 
मैंने सहेज कर रखी हैं,
तुम्हारी यादें। 
डायरी के कई खाली पन्ने,
और उन कोरे पन्नों में,
बुकमार्क की तरह,
रखे हैं मैंने,
चॉकलेट के खाली रैपर,
और कुछ सूखे हुए,
फूल गुलाब के।
यह फूल आज भी,
महक रहें हैं,
तुम्हारी यादों से। 
मैंने सहेज कर रखी हैं,
कुछ लिखी हुई,
अधूरी प्रेम कवितायेँ। 
कुछ अनकहे शब्द,
जिन्हें अब कहने,
और लिखने की,
ज़रूरत ही नहीं। 
मैंने सहेज कर रखे हैं,
कुछ unseen messages,
कुछ sorry,
कुछ thank you,
यही है धरोहर,
मेरी ज़िन्दगी की। 
और यही है,
बस वसीयत मेरी। 

(सर्वाधिकार सुरक्षित : शलभ गुप्ता ) 

Monday, November 27, 2023

"रेत के किनारे..'

भीगने से,
रह जाते हैं,
जो रेत के किनारे। 
उनके लिए,
बरसती है बारिश,
बार बार,
उस शहर में। 

(मुंबई की बारिश पर लिखी कुछ पंक्तियाँ.. )
कल भी बारिश हुई बहुत मुंबई में.. 

Saturday, November 25, 2023

door not closed..

दरवाजा बंद देखकर,
वो खड़खड़ाता रहा,
देर तलक।  
भिड़े थे बस, 
जरा से, 
बंद नहीं थे मगर,
ठीक से उसने, 
देखा ही नहीं। 

Friday, November 24, 2023

"ख़ामोशी .."

घने कोहरे का मौसम,
अभी तो आया नहीं है। 
फिर यह आगे का रास्ता,
दिखाई देता क्यों नहीं है।
ऐसा मैंने कुछ कहा नहीं,
कुछ शब्दों के अर्थ होते नहीं। 
कोई बात नहीं है फिर भी,
लबों पर हंसी क्यों नहीं है। 
यह कैसी ख़ामोशी है,
साथ सब चल रहें हैं मगर,
भीड़ भरे रास्तों पर "शलभ",
एक दूसरे से बातें क्यों नहीं हैं। 

"ना जाने क्यों ?"

कभी,
ऐसा भी होता है,
कि, 
किसी पर, 
लिखी कविता,
हम सारी दुनिया को,
सुना आते हैं। 
मगर,
बस उसी को,
नहीं सुना पाते,
जिस पर,
कविता लिखी है।

Wednesday, November 22, 2023

"Someone.."

यूँ तो,
उस शख्स से मैं,
कभी मिला ही नहीं। 
वो मेरा है,
ऐसा भी मैंने,
कभी कहा ही नहीं।  
और, 
सच कहूं तो,
ऐसी, 
कोई बात भी नहीं। 
चाहे,
कई दिनों तक,
उससे बात ना हो,
फिर भी,
चलता है।  
मगर,
फिर भी,
ना जाने क्यों,
उसे खोने से,
मेरा दिल, 
डरता है। 

"Sometimes in life.."

कभी कभी,
जीवन में,
एक लम्हा,
ऐसा भी आता है। 
जब,
अपनों की आवाजें,
शोर लगती हैं। 
और,
खामोशियों के,
सन्नाटे,
अच्छे लगते हैं। 
कवितायेँ,
कहानियां,
लिखने वालों के,
शब्द भी,
मौन रहने लगते हैं। 
अच्छा नहीं लगता है,
फिर किसी से,
बात करना।
शायद,
तुमसे भी नहीं। 
बस खुद से ही,
होती हैं ढेरों बातें। 
कभी अपने ही,
हाल पर ही,
मुस्कराते हैं। 
ऊपर वाले ने,
हमें आँखें तो दीं,
मगर,
आसूं नहीं दिए। 
और वैसे भी,
कहते हैं कि,
कवियों के शब्द,
उनके 
आसूं ही तो होते हैं। 
दिल के हाल,
फिर कागज़ पर,
बयां होते हैं। 
लिखना है अभी,
बहुत कुछ। 
मगर,
शेष फिर। 
 

Monday, November 20, 2023

International Men's Day

हमारा दिन, 
कौन मनाता है साहब !
हमारा दिन क्या मनाना,
और हमें कौन मनाता है,
हमें तो रूठने का भी, 
अधिकार नहीं है।    

(अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस १९ नवम्बर २०२३ को लिखी पंक्तियाँ )

Thursday, November 16, 2023

"दीवारें.."

अब किससे करेंगें, 
हम दिल की बातें। 
उससे गले मिलकर,
खूब रो लेते थे हम। 
नया paint हुआ है,
जब से मेरे घर में। 
बदल गयीं हैं दीवारें,
फिर हो गए अकेले हम। 

"आंसू.."

कल शाम,
मेरे शहर में हुई, 
बारिश से,
उधार ली हुई बूँदें,
मेरे बहुत काम आयीं।
मेरी पथराई,
आँखों के वास्ते,
आंसू बनाने के काम आयीं। 

"limited edition.."

दुनिया का बदलता रुख देखकर,
अब हम limited edition हो गए। 
ज़िन्दगी के बिखरे पन्नों को समेट कर,
अब हम जिल्द वाली किताब हो गए। 

"बातें.."

कभी कभी,
मोबाइल को,
स्विच ऑफ करना,
अच्छा लगता है। 
फिर दीवारों से,
बहुत देर तलक,
खुद की बातें करना,
अच्छा लगता है।  

"तितली.."

हर पल में एक ज़िन्दगी जिया करो,
कुछ लम्हें खुद को भी दिया करो। 
कभी कभी ऑफलाइन भी रहा करो,
तितली बनकर आसमान में उड़ा करो। 

"खालीपन.."

त्यौहार बीते,
बच्चे लौटे। 
घर में,
फिर वही,
खंडहरों सा,
खालीपन। 

"unseen.."

कुछ इस तरह भी,
सामाजिक दस्तूर,
निभाने चाहिए। 
कुछ messages,
unseen,
रहने चाहिए।   

दो पंक्तियाँ ..

हम आज भी वहीं ठहरें हैं,
मेरे आंसुओं पर पहरे हैं। 

दीवारों के तो जाले हट गए,
मन के हटें तो कुछ बात बने। 

Thursday, November 9, 2023

व्हाट्स एप का स्टेटस..

अपना व्हाट्स एप का स्टेटस,
जल्दी जल्दी बदल रहा है वो। 
कहना कुछ चाहता है मगर,
लिख कुछ और रहा है वो। 

Monday, November 6, 2023

"खुशियाँ .."

भले ही,
अकेले रहना,
सुहाता हो। 
साथ, 
किसी का,
मन को,
ना भाता हो। 
फिर भी,
जीने के लिए,
खुद ही,
ढूढ़ने पड़ते हैं,
मुस्कराने,
के बहाने। 
क्योंकि,
खुशियों का,
कोई,
गूगल मैप,
नहीं होता।  
(कवि : शलभ गुप्ता)