Friday, December 31, 2021

"कैलेंडर - 2021"

एक एक करके महीने सारे,
कैलेंडर से जुदा होते रहे।
बिछुड़ने के दर्द को भूलकर,
उसे संभालती रहीं दीवारें।
"इतना ही था साथ हमारा",
खुद को समझती रहीं दीवारें। 
कील की चुभन को फिर भी,
ख़ामोशी से सहती रहीं दीवारें।
दिसम्बर से  गले मिलकर,
आज बहुत रोईं घर की दीवारें।

"Kuch Panktiyan.."

[१] 
उन लम्हों को याद कर के देखते हैं। 
चलो, आज फिर मुस्करा के देखते हैं। 
[२]
रिपोर्ट देखकर, डॉक्टर साब का सिर चकराया है। 
मेरे अल्ट्रा साउंड में, दिल पत्थर का आया है।  


Tuesday, December 21, 2021

"आज भी वही "राजू" हूं मैं.."

दुनिया के लिए "शलभ" हूं मैं,
मगर मां, तुम्हारे लिए तो, 
आज भी वही "राजू" हूं मैं।
यूं तो दोनों नाम मुझे,
तुमने ही तो दिए थे।
आपके और पापा के,
जाने के बाद "राजू",
घर में कहीं गुम हो गया है।
बहुत तलाश किया मैंने,
परन्तु कहीं मिला नहीं।
जीवन की आपा थापी में,
"राजू" कहां लापता हो गया,
किसी को पता ही नहीं चला।
घर की दीवारें को भी,
यह नाम अब याद नहीं।
आज भी मेरे कानों में,
आपकी आवाज गूंजती है।
अक्सर महसूस होता है मुझे,
अभी मुझे आवाज़ देकर,
मां, तुम बुलाओगी मुझे।
बचपन की शैतानियां अब,
घर की जिम्मेदारियों में,
बदल गईं हैं शायद।
यूं तो बड़ा हो गया हूं मैं,
मगर मां, तुम्हारे लिए तो,
आज भी वहीं "राजू" हूं मैं।
चाहे सपने में ही आ जाना,
मां, एक बार फिर से मुझे,
तुम "राजू" कहकर बुलाना।

Wednesday, December 15, 2021

"राजू.."

दुनिया के लिए "शलभ" हूं मैं,
मगर मां, तुम्हारे लिए तो, 
आज भी वही "राजू" हूं मैं।
यूं तो दोनों नाम मुझे,
तुमने ही तो दिए थे।
आपके और पापा के,
जाने के बाद "राजू",
घर में कहीं गुम हो गया है।
जीवन की आपा थापी में,
"राजू" कहां लापता हो गया,
किसी को पता ही नहीं चला।
घर की दीवारें को भी,
यह नाम अब याद नहीं।
यूं तो बड़ा हो गया हूं मैं,
मगर मां, तुम्हारे लिए तो,
आज भी वही "राजू" हूं मैं।

Saturday, December 11, 2021

"संदेशा,.."

संदली धूप ने दिया संदेशा,
घने कोहरे के आने का। 
जैसे फिर आया मौसम,
आँखों  के भर आने का।

"नया कारोबार.."

इस शहर में मेरा नया कारोबार है। 
"दर्द" है बेशुबार, "खुशियां" उधार हैं। 

Saturday, December 4, 2021

"ज़िन्दगी के सफर.."

ज़िन्दगी के सफर कुछ इस तरह तय किए। 
दौड़े, गिरे, उठे, संभले और फिर चल दिए। 

"वक्त..."

कुछ इस तरह से,
ज़िन्दगी का सफर,
तय किया  मैंने।  
मुझे रोक कर रखा,
वक्त ने अक्सर,
मगर आज देखो,
वक्त को ही,
रोक दिया मैंने।  

Thursday, December 2, 2021

"मुंबई की बारिश.."

बिलकुल तुम्हारी तरह ही है मुंबई की बारिश,
अब देखो ना, बिन बात के ही बरस जाती है। 
#मुंबई #बारिश 

"गुनगुनी धूप.."

तेरे वास्ते, इश्क़ की गुनगुनी धूप लाया हूँ। 
सुना है, तेरे दिल का मौसम सर्द बहुत है। 

Wednesday, December 1, 2021

"आशीर्वाद.."

कोई तो है मेरे आस पास,
रहता है हमेशा मेरे साथ। 
बचाये रखता है परेशानियों से,
वो है माता पिता का आशीर्वाद।