Wednesday, July 18, 2018

"बारिशें..."

अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......
तन तो भीगा खूब मगर, मन रहा प्यासा मेरा पहले की तरह।
पेड़ों पर लगे सावन के झूलों को खाली ही झुलाते रहे,
उन बारिशों से इन बारिशों तक इंतज़ार हम करते रहे।
वो ना आये इस बार भी मगर पहले की तरह ।
अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......
वो साथ नहीं हैं यूँ तो, कोई गम नहीं है मुझको ।
मुस्कराहटें "राज" की नहीं हैं, मगर पहले की तरह।
यूँ तो कई फूल चमन में, खिल रहे हैं आज भी मगर ।
खुशबू किसी में नहीं है, जो दिल में बस जाये पहले की तरह।
अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......
@ शलभ गुप्ता "राज"

(कई वर्ष पूर्व लिखी मेरी एक कविता, इंद्रधनुषी यादों के साथ) 

Tuesday, July 17, 2018

"गमले का जीवन.."

कई दिनों से घर का एक गमला खाली था,
फूलों का पौधा लगाऊँ या मनी-प्लांट का।
कई दिनों से मैं बस यही सोच रहा था।
गमले की हालत पर, मन बहुत उदास था।
कल घर के आँगन में खुशियों की बारिशें हुईं।
गमले की सूखी मिटटी भी, जी भर के मुस्कराई।
जब मेरे द्वारा उस गमले में,
तुलसी के पौधे का आगमन हो गया।
अंतर्मन में सुखद अनुभूति का,
अविरल प्रवाह हो गया।
इस तरह गमले के संग-संग,
मेरा जीवन  भी सार्थक  हो गया।
@ शलभ गुप्ता

( फोटो  के लिए गूगल का आभार )




Saturday, July 14, 2018

"शानू" हमारे घर की शान है...

आशाओं की नित नयी उड़ान है।  
"शानू" हमारे घर की शान है।  
प्रतिकूल हवाओं में भी उसका,
जीवन-दीप प्रकाशमान है।   
उसके होठों पर रहती सदा,
एक प्यारी सी मुस्कान है।  
एक दिन करेगा अपना नाम रोशन, 
माँ सरस्वती का मिला उसे वरदान है।  
16 जुलाई है सोलहवां जन्मदिन,
आप सबका आशीर्वाद उसके साथ है।  
@ शलभ गुप्ता 



Wednesday, July 11, 2018

"कहाँ भीग पाते हैं हम.."

A.C. कमरों में बैठकर,
T.V. पर बारिशों का हाल देखकर,
शहर में हुए जलभराव की, 
अख़बार में छपी तस्वीरें देखकर,
कहाँ भीग पाते हैं हम।  
@ Shalabh Gupta