Thursday, July 25, 2019

"अजनबी के नाम.."

चर्चगेट से आती हुई,
आखिरी लोकल ट्रेन  की तरह,
खाली-खाली सी शाम हो गयी। 
शोर मचातीं आतीं लहरें ,
पत्थरों से टकराकर,
गुमनाम हो गयीं। 
घर के एक कोने में रखी,
रंग-बिरंगी छतरियाँ भी ;
बारिशों के ना आने से,
परेशान हो गयीं। 
मिलना ना होगा जिनसे कभी,
ज़िन्दगी "शलभ" की ,
उसी अजनबी के नाम हो गयी। 
@ शलभ गुप्ता "राज"

Monday, July 1, 2019

"आशाओं की नित नयी उड़ान है.."

आशाओं की नित नयी उड़ान है। "शानू" हमारे घर की शान है। प्रतिकूल हवाओं में भी उसका, जीवन-दीप प्रकाशमान है। उसके होठों पर रहती सदा, एक प्यारी सी मुस्कान है। एक दिन करेगा अपना नाम रोशन, माँ सरस्वती का मिला उसे वरदान है। @ शलभ गुप्ता