Friday, February 12, 2016

"शब्दों का अतुल भण्डार दो माँ,..

शब्दों का अतुल भण्डार दो माँ,
हृदय को नये विचार दो माँ।
इतना मुझ पर उपकार करो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।
अनुभूतियों को साकार दो माँ।
सृजन को व्यापक स्वरुप दो माँ।
श्वेत पृष्ठों को इंद्रधनुषी कर दूँ,
मेरे शब्दों को नये रंग दे दो माँ।
"शलभ" को नये आयाम दो माँ।
शब्दों का मुझे उपहार दो माँ।
कुछ ऐसा लिखे मेरी लेखनी,
पढ़कर सब निहाल हो जाएँ माँ।
( Shalabh Gupta "Raj")

Tuesday, February 9, 2016

"नये सफ़र.."

"एक जोड़ी पुराने जूते हैं पास मेरे,
और एक नये सफ़र की तैयारी है।
मेरे जाने का जबसे पता चला है ,
घर में सबकी आखें भारी हैं ।
सबसे बड़ा बेटा हूँ घर का ,
अभी काम बहुत करने हैं ।
जीवन रुपी समुन्द्र में ,
सघन मंथन के बाद ही ,
तो अमृत कलश निकलने हैं । "
(Shalabh Gupta "Raj")

Sunday, February 7, 2016

"नये इन्द्रधनुष..."

आशाओं के नये इन्द्रधनुष बने,
आप सबकी दुआ रंग लायी है ,
साज के टूटे तारों को जोड़कर ,
फिर एक नयी धुन सजायी है .
(Shalabh Gupta "Raj")

Monday, February 1, 2016

"पत्थर दिल .."

अक्सर ना जाने क्या टूटता है मुझमें ,
लोग तो कहते हैं पत्थर दिल है मेरा !
(Shalabh Gupta"Raj")