Wednesday, June 28, 2017

"मेरे शहर में.."

थोड़ा ही सही , शगुन तो हुआ;
मेरे शहर में , आज बारिशों का।


Sunday, June 25, 2017

"चाँद" मेरे..

आज देर से आयेगा,"चाँद" आसमान में,
"चाँद" मेरे, तुम ही जल्दी घर आ जाना !!

@ शलभ गुप्ता 

"चाँद.."

कल कह दिया था चाँद ने,
थोड़ी देर से आऊंगा आज !!

@ Shalabh Gupta

Saturday, June 24, 2017

"अजनबी के नाम.."

चर्चगेट से आती हुई,
आखिरी लोकल ट्रेन  की तरह,
खाली-खाली सी शाम हो गयी।
शोर मचातीं आतीं लहरें ,
पत्थरों से टकराकर,
गुमनाम हो गयीं।
घर के एक कोने में रखी,
रंग-बिरंगी छतरियाँ भी ;
बारिशों के ना आने से,
परेशान हो गयीं।
मिलना ना होगा जिनसे कभी,
ज़िन्दगी "शलभ" की ,
उसी अजनबी के नाम हो गयी।
@ शलभ गुप्ता "राज"

Thursday, June 22, 2017

"सौगात.."

आँसू नहीं अनमोल  मोती हैं यह, 
अपनों की दी हुई सौगात है यह।  

"बरसात.."

जब भी खुद से मुलाकात हुई ,
आंसुओं की खूब बरसात हुई। 

"तन्हाई .."

तन्हाई में भी अकेले कहाँ हम,
यादों का आंसुओं संग साथ है।  

"घुटन.."

"आँसू" हो या "बारिशें" ,
बरस जाएँ तो ही अच्छा है ,
वरना  घुटन बहुत हो जाती है,
दिल में हो या फिर मौसम में. 
 @ शलभ गुप्ता

Tuesday, June 20, 2017

"लिखना है कुछ ख़ास सा..."

डायरी के कुछ पन्ने भरे हैं।
कुछ पन्नों के कोने मुड़े हैं,
और बहुत से अभी कोरे हैं।
लिखना है  कुछ ख़ास सा।
पहले प्यार के एहसास सा।
अमलतास के फूल ;
मुंबई की बारिशें,
घर लौटते पंछी ,
और ईद के चाँद सा।
लिखना है कुछ ख़ास सा।
@ शलभ गुप्ता 

Thursday, June 15, 2017

"चिठ्ठी..."

घर से चिठ्ठी आयी है।
हिचकियाँ संग लायी है।
भीगे कागज में लिपटी हुई,
अपनों की याद आयी है।
@ शलभ गुप्ता 

Wednesday, June 14, 2017

"मुंबई की बारिशें.."

मुंबई की बारिशें,
कर रहीं मेरा इंतज़ार।
जल्द ही आयेगें हम,
भीगने  फिर एक  बार।  

Monday, June 12, 2017

"शिकायत.."

जल्दी ही आपसे मुलाकात होगी,
दूर ये आपकी शिकायत होगी।


"मौसम..."

यादों का भी एक मौसम होना चाहिये ,
दिल को भी तो  थोड़ा आराम चाहिये।  

Tuesday, June 6, 2017

जन्मदिन की शुभकामनायें - 6 जून 2017

ज़िन्दगी की तेज़ तपन में,
अपनेपन की छाँव मिले।
उम्र के हर मोड़ पर,
ख़ुशियाँ बेमिसाल मिलें।
तितलियों को उड़ने के लिये,
नये- नये आसमान मिलें।
सुख और समृद्धि हमेशा,
आपके घर-आँगन में मिले।
मिलेंगे शायद, फिर किसी दिन;
संग-संग  हैं यादों के काफिले।
गीत - कविता लिखते रहें हम,
महकते रहें बातों  के सिलसिले।
(शलभ गुप्ता "राज")


Monday, June 5, 2017

"तेज़ धूप.."

ज़िन्दगी  की तेज़ धूप ,
तपती रेत पर नंगे पैर,
और ये मीलों का सफर,
बस चलते जाना है।
(शलभ गुप्ता )