खुद को समेट कर बैठना सीख लिया मैंने।
खुश है मेरी चादर, जीना सीख लिया मैंने।
खुश है मेरी चादर, जीना सीख लिया मैंने।
बनावटी मुस्कान मिली जिन चेहरों पर,
उनके घर पर जाना छोड़ दिया मैंने।
किनारे बैठे रहने से कुछ नहीं हासिल,
तूफ़ान में कश्ती चलाना सीख लिया मैंने।
खुद ही बनायेंगें हम, अपने कदमों के निशां,
भीड़ से अलग चलना, अब सीख लिया मैंने।
खामोश रहूँगा मैं अब, बस शब्द बोलेंगें मेरे।
थोड़ा बहुत ही सही, लिखना सीख लिया मैंने।