Tuesday, October 22, 2019

कुछ पंक्तिया ...

[१]
कितना करीब था वो,
मुझे खुद नहीं पता था।
उसके आने का समय,
बस मेरी धड़कनों को पता था।
[२]
भले ही हम ना तुम्हारे हुए,
मगर तुम्हारे आंसू,
आज से हमारे हुए,
बस तुम खुश रहना। 
[३]
यह न सोचो,
खामोश हूँ मैं।
समुन्दर हूँ यारों,
बहुत गहरा हूँ मैं। 


चाँद...

कल कह दिया था चाँद ने,
थोड़ी देर से आऊंगा आज।
बहुत सताते हो तुम मुझको,
थोड़ा मैं भी इतराऊंगा आज। 

मुस्कराहटें बचाकर रखना..

थोड़ी हंसी बचा कर रखना,
थोड़ी मुस्कराहटें बचाकर रखना।
उदासियों के सर्द मौसम में,
फिर उनको खूब खर्च करना।  

हम ही याद आये ..

बच कर निकलते रहे,
वो हमसे तमाम उम्र।
दिल टूटने पर फिर,
हम ही याद आये उनको। 

Wednesday, October 16, 2019

"शब्दों के अर्थ.."

दिल की हर बात को,
शब्दों में लिखना ज़रूरी नहीं।
खामोश रहकर भी हम,
अपनी बात कह सकते हैं।
क्योंकि अगर तुम,
मेरे चेहरे को नहीं पढ़ पाए।
मेरे शब्दों के अर्थ भी,
तुम्हारे लिए व्यर्थ हैं।  

Tuesday, October 15, 2019

राहें...

"काश" के संकरे मोड़ों से,
गुज़र जाने के बाद,
दिखाई देने लगती हैं,
"संभावनाओं" की खुली राहें। 

वो खुशबू थी कोई...

[१]
वो खुशबू थी कोई,
आज तक महक रहे हम।

[२]
दर्द, बेवफा, ना कोई बला है इश्क़।
महबूब है खुदा, इबादत है इश्क़।


मेरी ज़िन्दगी ...

मेरी ज़िन्दगी,
तुझको और क्या चाहिए ?
आज, तू मुझे बता ही दे।
सब कुछ तो है मेरे पास।
आंसू, दर्द और तन्हाई।
यादें, कसमें और रुस्वाई।
क्या यह सब काफी नहीं ?
ज़िन्दगी जीने के लिए !!

Friday, October 11, 2019

माँ, तुम कहाँ हो ?

माँ, तुम कहाँ हो ?
मैं जानता हूँ आप,
कई वर्ष पहले हम सबसे,
बहुत दूर चले गए हो।
जाड़े का मौसम आने को है।
तुम तो जानती हो माँ, 
मुझे बाज़ार की चीजें पसंद नहीं।
चाहे सपनों में ही आ जाना,
अपने हाथों से मेरे लिए,
एक "स्वेटर" बन जाना।  

"इस बार.."

तुम ही मिल जाओ ना,
आकर इस बार।
मैं ही आता हूँ,
तुमसे मिलने हर बार। 
इस बार तुम ही आकर,
मुझसे मिल जाओ ना।

Sunday, October 6, 2019

"वापस लौट आओ तुम..."

देख लिया ना !
क्या मिला तुम्हें ?
बड़े शहर में आकर।
कंक्रीट के जंगल,
कारखानों से निकलते धुएं,
समुन्दर के खारे पानी,
और अकेलेपन के सिवा।
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा,
वापस लौट आओ तुम,
चलो अपने  गांव की ओर।
कड़वे नीम की ठंडी छांव,
कुएं के मीठे पानी की ओर।
शहर से आने वाले रस्ते पर,
एक सांवली सी लड़की,
आज भी तुम्हारी राह देखती है।   

" ख़ामोशी.."

लिखना भूल गए हैं हम उस  दिन से,
मेरी ख़ामोशी पढ़ने लगे वो जिस दिन से। 

"रिश्ते.."

रिश्ते जितंने कम होंगे।
दर्द उतने कम होंगे। 

Wednesday, October 2, 2019

मेरे प्रिय अक्टूबर..

मेरे प्रिय अक्टूबर,
तुम कैसे हो ?
कई महीनों बाद आये हो।
सब कुशल तो है ना।
तुम्हारा दिल से शुक्रिया।
बहुत नाचते, गाते, महकते आये हो।
कई त्योहारों की खुशबू संग लाये हो।
जिनके दिलों में उदासी हो,
और घरों में घने अँधेरे हों।
उनके घर की दीवारों पर,
खुशियों की झालर लगा आना।
उनके घर के आँगन में आकर,
आशाओं के दीप जला जाना।
मुझसे मिले बिना नहीं जाना।
हमारे घर  भी ज़रूर आना।
तुम्हारा अपना,
शलभ गुप्ता 

थोड़ा दर्द छुपाओ..

उदास रहने से कुछ नहीं हासिल,
थोड़ा मुस्कराओं तो कुछ बात बने।
किसी से नहीं कहते अपने शिकवे गिले,
थोड़ा दर्द छुपाओ तो कुछ बात बने।  

Tuesday, October 1, 2019

आँखों का पानी...

नदियों, तुम्हारी बातें;
अब हम किससे कहें।
लोगों की आँखों का पानी भी,
अब कम होने लगा है। 

कैसे कह सकते हो..

मुझे छोड़ कर जाने की  बात,
ऐसा तुम, कैसे कह सकते हो। 
धड़कना छोड़ दे मेरा "दिल",
"दिल" से ऐसा, कैसे कह सकते हो। 

माँ की भक्ति..

दुर्गा मेरी आत्मा, दुर्गा मेरी शक्ति।
दिन रात करूँ मैं, बस माँ की भक्ति। 

इंद्रधनुष नहीं दिखते..

प्लास्टिक की मुस्कान है हर चेहरों पर,
सच्चे इश्क़ करने वाले अब नहीं मिलते।
चाहे कितनी ही बारिशें हों धरती पर,
आसमान में अब इंद्रधनुष नहीं दिखते। 

तुमको चिट्ठी लिखता हूँ ..

मैं, आज भी उसी मोड़ पर;
तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ।
इंटरनेट के ज़माने में आज भी,
तुमको चिट्ठी लिखता हूँ। 

कुछ और पंक्तियाँ

[१]
हरे भरे पत्तों में,
अपनापन कहाँ। 
रास्ते की ख़ामोशी,
तो सूखे पत्ते ही तोड़ सके। 
[२]
कुछ सोचकर हम चुप रहे,
शायद, तुम कुछ ज़रूर कहोगे।
बिछुड़ते वक्त आखरी बार,
शायद, तुम मुड़कर देखोगे।
सहेजकर रखी हैं जो मेरी यादें,
शायद, तुम उन्हें वापस करोगे।
[३]
कदम मजबूती से रखो,
रास्ते खुद ही बनते जाते हैं। 
ऊंचे  नीचे रास्तों पर चलना,
राह के पत्थर ही  सिखाते हैं। 

कुछ पंक्तियाँ

[१] 
शिद्दत से उनको याद करेंगे, तो मुलाकात भी होगी।  
दिल की प्यासी धरती पर, प्रेम की बरसात भी होगी। 
[२]
इस दुनिया में सब, 
अजनबी हैं मेरे लिये। 
भीड़ है सड़कों पर बहुत,
तुम साथ - साथ चलो मेरे।  
खो ना जाऊं मैं कहीं,
हमेशा के लिए।  
[३]
ज़रा देर से तुम्हारा आना,
मुझे बहुत परेशां कर देता है। 
साँसें थमने लगती हैं मेरी,
दिल धड़कना बंद कर देता है। 
 [४]
छुपा कर रखी थी उनसे सारी। 
मेरी ख़ामोशी ने कह दी कहानी सारी।