[१]
सारी परेशानियां दूर हो जाएँगी जनाब,
बस एक बच्चों सा बनकर तो देखिये।
[२]
अपनी परछाईं को उलझाकर, मीठी मीठी बातों में।
तस्वीर उसकी कैद कर ली, हमनें अपनी आँखों में।
हज़ार गम हैं ज़िन्दगी में तो क्या,
शिकवे शिकायत मत किया करो।
सुख दुःख हैं साइकिल के दो पहिये,
आप बस, घंटी बजाते चला करो।
हर मुश्किल हो जाएगी आसान,
आप बस, मुस्कराते रहा करो।
हालातों से लड़ने का मिला है हौसला,
खुदा का शुक्रिया अदा किया करो।
एक एक करके महीने सारे,
कैलेंडर से बेवफाई करते रहे।
फिर भी उन्हें संभालती रहीं दीवारें।
बिछुड़ने का दर्द और कील की चुभन,
ख़ामोशी से सहती रहीं दीवारें।
दिसम्बर के आखिरी पन्ने से गले मिलकर,
आज बहुत रोईं मेरे घर की दीवारें।
(Written on 31.Dec.2019)