Friday, July 17, 2009

"कृष्ण हैं आप मेरे, मुझे सुदामा बना लेना "



आज मन्दिर में रख आया हूँ ,
"विश्वास" की मिटटी से बना हुआ,
"आशाओं" की लौ से जलता हुआ
और "आस्था" के तेल से भरा हुआ,
एक दीपक आपके नाम, स्वीकार लेना।
अपने घर के आँगन में मेरे नाम का,
एक नन्हा सा पौधा लगा लेना।
ये माना, कोई फूल नहीं कोई खुशबू नहीं है मुझमे
और काटों से भी भरा हुआ हूँ मैं।
आप चाहो तो घर के बाहर ही लगा लेना।
आज मन्दिर में रख आया हूँ,
एक दीपक आपके नाम, स्वीकार लेना।
अजनबी रिश्तों के बीच अपनेपन की पहचान हूँ मैं,
आस- पास ही रहता हूँ आपके हर पल,
जब चाहो आप, मुझे पुकार लेना।
दुनिया में सबसे अनोखा रिश्ता है अपना,
कृष्ण हैं आप मेरे, मुझे सुदामा बना लेना ।
आज मन्दिर में रख आया हूँ,
एक दीपक आपके नाम, स्वीकार लेना।

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