Wednesday, April 20, 2011

"तेरी यादों के कुछ पन्नों को ..."

कल शाम तेरी यादों के कुछ पन्नों को ,
समुन्दर में बहा दिया मैंने ।
अपने संग-संग, समुन्दर को भी रुला दिया मैंने ।
कुछ पन्नों को बहुत संभाल कर रखा है मैंने ।
सबकी नज़रों से छुपा कर रखा है मैंने ।
आंसुओं से लिखा है तेरी यादों पर,
ओंस की बूँदें हैं जैसे गुलाब पर ।
बहुत सारे पन्ने अभी लिखे बाकी हैं ।
मगर, कुछ बातें चाहकर भी लिख नहीं सकते ।
लगता है , अब सारे पन्ने कोरे ही रह जायेगें ।
यूँ तो हर रोज ही लिखता हूँ कुछ पन्ने मगर,
रोज कुछ नये पन्ने जुड़ जातें हैं तेरी यादों के ,
किताब लिख रहा हूँ तुम्हारी यादों पर,
मगर लगता नहीं कि किताब पूरी हो पायेगी ।
दिल की बातें दिल में ही रह जायेगीं ।
बहुत कुछ लिखना है तुम पर मगर,
मेरी यह ज़िन्दगी कम रह जायेगी ।

6 comments:

  1. किताब लिख रहा हूँ तुम्हारी यादों पर,
    मगर लगता नहीं कि किताब पूरी हो पायेगी ।
    यादों का इतना बड़ा भंडार वाह क्या बात है स्वागत योग्य , आभार

    ReplyDelete
  2. @ Apanatva ji : Sahi Kaha Aapne, Yadeen Sahara Hoti Hai Jeevan Ka...Yahi Anmol Khazana Hai...

    ReplyDelete
  3. @ Sunil Kumar Ji : Kuch Nahin Hai Paas Mere Kisi Ki Yadoon Ke Siva....Yaad Nahin Aata Koi Uske Siva...

    ReplyDelete
  4. @ Darshan Kaur Ji :"Yaaden" Hi Hamari Sabse Sacchi Dost Hoti Hain...Hamesha Jo Hamare Sath Rahti Hain..

    ReplyDelete