Wednesday, April 27, 2011

"मेरी कवितायें अब वो पढ़ते नहीं हैं.."

सब "तस्वीरे" ना जाने कहाँ खो गयी हैं ।
मेरी कवितायें बहुत उदास हो गयी हैं ।
"तस्वीरो" के बिना, कविताओं में रंग नहीं हैं।
मेरी कवितायें अब वो पढ़ते नहीं हैं ।
जो मेरी "कविता" के मन को भाये,
ढूंढता हूँ बहुत, मगर "तस्वीर" मिलती नहीं हैं ।
मेरी कवितायें तन्हा हो गयी हैं ।
सागर की लहरें , अब किनारे तक आती नहीं हैं ।
मेरे मन को अब बहलाती नहीं हैं ।
खोया हूँ अपनी तन्हाईओं में इस कदर ,
कब ढलता है दिन, कब होती है रात ...
मुझे कुछ पता चलता नहीं हैं ।
मेरी कवितायें अब वो पढ़ते नहीं हैं ।
फिर भी उनमे ना जाने क्या बात है ।
उनके सिवा , कुछ याद रहता नहीं है ।
"तस्वीरों" के बिना कविताओं में रंग नहीं हैं ।
मेरी कवितायें अब वो पढ़ते नहीं हैं ।

4 comments:

  1. फिर भी उनमे ना जाने क्या बात है ।
    उनके सिवा , कुछ याद रहता नहीं है ।
    अच्छी सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई

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  2. सब "तस्वीरे" ना जाने कहाँ खो गयी हैं ।
    मेरी कवितायें बहुत उदास हो गयी हैं ।bhut khubsurat lines....

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  3. @ Sunil Kumar Ji : Aapka Dil Se Aabhar....Sach Hai, "Unke Siva Kuch Yaad Rahta Nahi Hai..."

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  4. @ सुषमा जी : "जो मेरी कविताओं के मन को भाये, वह तस्वीर कहाँ से लाऊं मैं ..."
    Thanks For Your Heart Touching Comments..., Regards...

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