गगन में उड़ने के लिए, अपने पंख खोले ही थे उसने।
बेदर्द आंधी ने घोंसला गिरा दिया उसका सारा।
यूँ तो सबसे उसका रिश्ता नहीं था मगर,
उसके दुख में डूब गया जहाँ सारा।
चली गयी है उस जहाँ में वो,
जहाँ से लौट कर आता नही कोई दोबारा।
बेदर्द आंधी ने घोंसला गिरा दिया उसका सारा।
यूँ तो सबसे उसका रिश्ता नहीं था मगर,
उसके दुख में डूब गया जहाँ सारा।
चली गयी है उस जहाँ में वो,
जहाँ से लौट कर आता नही कोई दोबारा।
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