Saturday, February 21, 2015

" बेटियाँ.."

नाज़ुक सी टहनियों पर फूलों की लड़ियाँ,
वो खिलती  कलियाँ घर में आती ढेरों खुशियाँ ,
ओंस की बूंदों जैसी होती हैं बेटियाँ ,
जीने का सबब होती हैं बेटियाँ ,
माता-पिता की अनमोल धरोहर हैं बेटियाँ ,
अपने घर में भी मेहमान होती हैं बेटियाँ ,
विदा करके उनको निभाना है दस्तूर,
फिर उम्रभर बहुत याद आती हैं बेटियाँ।  

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