Saturday, September 22, 2018

"खुशनुमा लम्हें.."

जब भी मिलते हैं खुशनुमा लम्हें,
उन्हें सहेज कर रख लेता हूँ।
जब भी आते हैं सर्द मौसम,
तब उन्हें खर्च कर लेता हूँ।
इस तरह ज़िन्दगी के दर्द,
कुछ  कम कर लेता हूँ। 
उस लम्हे में कई ज़िंदगियाँ,
मुस्करा कर जी लेता हूँ। 

@ शलभ गुप्ता

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