Tuesday, February 25, 2020

ऐ ज़िन्दगी, तेरा शुक्रिया !!

ऐ ज़िन्दगी, तेरा शुक्रिया !!
धीरे धीरे ही सही,
फिर से चलने लगी है।
जैसे घर के आँगन में,
मुंडेर पर ठहरी हुई धूप,
रौशनी बिखरने लगी है। 

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